राष्ट्र – स्वप्न
युवकों तुम क्या सोच रहे, अंगड़ाई लो हुंकार भरो .
समय नहीं है मस्ती का ,राष्ट्र - स्वप्न साकार करो ..
लक्ष्मी बाई के हमलों से अंग्रेजी हौसले पस्त हुए .
गद्दारों की गद्दारी से, जीत के सपने ध्वस्त हुए ..
विवेकानंद ने विश्व मंच पर, देश का ऊंचा नाम किया .
सदियों से दबी हुई जनता में, जागृति का था काम किया ..
तिलक ने कहा, स्वतंत्रता है, जन्म सिद्ध अधिकार हमारा .
काले पानी की सजा सही, देश को देकर ऐसा नारा ..
गांधी ने सत्याग्रह छेड़ा , चेतना का संचार हुआ .
नई शक्ति उत्पन्न हुई , राष्ट्र भावना का विस्तार हुआ .
दयानंद सरस्वती ने ,आर्य धर्म का पुनरुत्थान किया..
स्वतंत्रता का विचार देकर, मानव गरिमा को मान दिया ..
उनके सन्देश से प्रेरित हो, युवा राष्ट्र-प्रेम से झूम उठे .
आज़ादी की आग सीने में ले, वे राष्ट्र यज्ञ में कूद पड़े ..
जलियाँवाला संहार की अग्नि, शोले बन कर बरसी थी .
ऊधम सिंह ने लन्दन जाकर, हत्यारे को सज़ा दी थी ..
ऊधम सिंह , मदन और खुदीराम,थे अंग्रेजों के काल बने.
जीवन अपना न्यौछावर कर, अमर भारत के लाल बने ..
सुखदेव,भगत सिंह, राजगुरु ने, अपना ऐसा बलिदान दिया..
धरती का कण-कण उबल पड़ा, साहस का भाव प्रदान किया ..
चन्द्र शेखर आज़ाद अकेले ,ब्रिटिश पुलिस पर भारी थे .
अंतिम क्षण तक रहे डटे, ऐसे महान क्रांतिकारी थे ..
‘सर फ़रोशी की तमन्ना’, बिस्मिल ने शेर सुनाया था
युवा जोश में झूम उठे, उसने वह राग बजाया था
बिस्मिल, अशफाक़ शहीद हुए, स्वतन्त्र राष्ट्र का लेकर सपना .
आज़ादहिन्दफौज़ गठित करके, सुभाष ने किया हमला अपना ..
भारत माँ की रण-वेदी पर हज़ारों जन कुर्बान हुए .
सदियों बाद मिली आज़ादी, सभी स्वतन्त्र समान हुए ..
राष्ट्र गौरव की वृद्धि करो तुम, उनके सपने साकार करो .
भूख, अशिक्षा, रोग मुक्त हों, भाईचारे का व्यवहार करो ..
धन,संपत्ति,सुख बढ़ें सभी के, उद्योग व्यवसाय असीमित हों .
राष्ट्र प्रतिष्ठा सर्वोपरि हो, प्रत्येक प्राणी की कीमत हो..
राष्ट्र - शक्ति की वृद्धि करो, सम्मान सहित जी पाओगे .
राष्ट्र हित में सब काम करो , सदियों तक आनंद पाओगे ..
क्या खोया क्या पाया
क्या खोया क्या पाया हमने , इतने वर्ष व्यतीत हुए .
किसने क्या बलिदान दिए थे किस्से सभी अतीत हुए ..
लक्ष्मी बाई की युद्ध कथा, नहीं प्रेरित करती पीढ़ी को .
अनैतिकता पर चढ़ते जाते, ले भ्रष्टाचार की सीढ़ी को ..
विवेकानंद का क्या सन्देश, धर्म का क्या था काम किया ?
देश, समाज, शिक्षा के लिए, उन्होंने क्या प्रचार किया ?
कौन थे गांधी, तिलक कहाँ गए, युवा पीढ़ी को ज्ञान नहीं.
आज़ाद, भगत के कार्यों का, इनको है कोई ध्यान नहीं ..
स्वदेशी का था मन्त्र जपा, जन उत्थान कराने को .
सोचा था मिलके काम करेंगे, अशिक्षा भूख मिटाने को ..
लोगों में था उत्साह प्रबल, राष्ट्र विकास को तत्पर था .
शिक्षा का भी प्रसार हुआ जनहित सबसे ऊपर था ..
हमने इतिहास को बंद किया, नहीं सबक लिया घटनाओं से.
मतभेद परस्पर बढ़ने लगे, उलटी – सीधी रचनाओं से ..
धनवृद्धि हुई ,समृद्धि हुई, अच्छा खाने और पीने लगे .
सब मस्त हुए सुविधाओं में, हम स्वप्नलोक में जीने लगे ..
धीरे से विदेशी घुसने लगे, सत्ता को लिया नियंत्रण में .
शासक बोलें उनकी बोली, विकास दिशा के अंतरण में ..
विदेशी धन से देश चलेगा, मनमोहक मन्त्र प्रचार किया .
आतंक से लेकर शान्ति तक,बाह्य शक्तियों का संचार किया ..
कौन उबारे देश को इससे, युवक राष्ट्र के मस्त हुए .
नहीं देश की है चिंता उनको, उपभोगवाद के भक्त हुए ..
‘मेरा क्या ? देश नहीं मेरा’, लोगों को नहीं कोई सरोकार .
विदेशी फिर अधिकार करेंगे, यदि लोग रहे न होशियार ..
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