बुधवार, 18 सितंबर 2013

आज़ादी का सपना

आज़ादी का सपना 
हर नागरिक हो जाये शिक्षित 
सच्चा नेक काम यह कर दो। 
श्रम, मेधा, मौलिक चिंतन से,
जन  जन का तुम जीवन भर दो। . 
सब हों सुखी नीरोग सभी हों,
ऐसा तुम यह राष्ट्र बनाओ। 
सर्व समाज को अपना समझे,
मानवता की अलख जगाओ।  
लालच, भ्रष्टाचार रहित हो ,
सब समझें यह देश है अपना। 
सब मिल रहें, एक हो जाएँ,
सच्चा हो आज़ादी का सपना। 
न दरिद्र हों,न हों स्वार्थी,
ईर्ष्या,द्वेष,विकार न होवें। 
ढाई अक्षर प्रेम का समझें,
देश में सबकी गरिमा होवे। 
युवकों यह दायित्व तुम्हारा,
राष्ट्र की संस्कृति को भी समझो .
 हर नागरिक का स्वप्न रहा जो, 
भारत को सबका गुरु कर दो। 
   

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