रविवार, 23 सितंबर 2012

सिकुलर भ्रष्टाचार , माया की माया , उलूक वाहन

सिकुलर भ्रष्टाचार 
सिकुलर -सांप्रदायिक हो गया , मंहगाई - भ्रष्टाचार ,
सपा पार्टी समझा रही , इन दोनों के व्यवहार .
पार्टी के काम हैं भिन्न , ये भी भिन्न रूप के होंगे ,
कांग्रेस - सपा के भ्रष्टाचार , पूर्णतयः सिकुलर होंगे .
भाजपा के भ्रष्टाचार को वे घोर साम्प्रदायिक कहते ,
सिकुलर भ्रष्टाचार भला , उसको ये  पूर्ण  समर्थन देते .
       माया की माया 
कांग्रेस को बसपा मानती , सांपनाथ का रूप ,
भाजपा को वह कह रही ,नागनाथ स्वरूप .
सांपनाथ स्वीकार  है , विष थोड़ा कम  होय ,
कांग्रेस का हाथ पकड़ कर , सपने रही संजोय .
केंद्र से  मिलता  लाभ , पकाओ कांग्रेस संग खिचड़ी ,
माया तो माया में डूबी , बसपा राजनीति में पिछड़ी .

            उलूक  वाहन
रहस्य मय दिन भर रहे , रात्रि करे निज काम .
अन्धकार में देख सके , लक्ष्मी रहे उसके धाम ..
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उलूक बनायें व्यक्ति को  , उस पर हो जांए सवार 
वह अपना धन दे जायगा , करिए उस पर अधिकार .
 करिए उस पर अधिकार  और लक्ष्मी पुत्र कहलाएं ,
उद्यमी , शासक , ऋषि राज , सभी से आदर पाएं  .
जो उलूकों को लेता  पाल , उन्हें चहुँ  ओर उड़ाता ,
पाता पद और मान ,        कुबेर नाथ बन जाता ..
  

रविवार, 9 सितंबर 2012

नादान लड़की

नादान लड़की 
सीधी -सादी लड़की है  इक थोड़ी सी  नादान है ,
कभी शरारत कर जाती है ,थोड़ी सी अनजान है .
खुले चमन में उड़ती है वह , देख रही सुन्दर सपने ,
चेहरा उसका बोल रहा है , हम सब उसके हैं अपने.
प्यारी गुड़िया जुग-जुग जियो , सारे सपने पूरे हों,
जो तुम चाहो  , जुट जाओ , काम न कोई अधूरे हों ..

भ्रमित अन्ना टीम

 भ्रमित अन्ना टीम
     अन्ना  जी  के  दल  में  किसी को यह नहीं मालूम कि उसे आगे क्या करना है . कभी कहना पार्टी बनाएंगे , कभी कहना कि अलग रहेंगे , लोगों को भी भ्रमित करता है .इनके सदस्यों को पुराना इतिहास नहीं मालूम . १९८० के चुनाव के पूर्व विद्यार्थी परिषद् ने ऐसा ही अभियान चलाया था कि चुनाव में ऐसे को वोट मत दो - वैसे को दो . सारी पार्टियाँ एक दूसरे की बुराइयां करती हैं  , अपनी तारीफ करती हैं , लोग कैसे तय करते  कि कौन अच्छा है - कौन ख़राब . नई -नई बनी भाजपा को भारी क्षति हुई . मैंने उन्हें भी समझाया था कि जिसे जिताना चाहते हो उसके पक्ष में प्रचार करो , पहेलियाँ न बुझाओ पर ऊपर से बड़े लोगों के आदेश थे . उनका समय और धन दोनों ख़राब हुए . आज केजरीवाल यह नहीं कहते कि जन लोकपाल  के आगे राष्ट्र कि समस्याओं का हल वे कैसे करेंगे . हमारा   समर्थन प्राप्त व्यक्ति यह नहीं करेगा , वह नहीं करेगा , गड़बड़ करेगा तो उसको कान पकड़ कर बाहर कर देंगे , पर इससे जनता को क्या लाभ होगा ?राजनीति में आना है तो खुलकर आइये , क्रन्तिकारी युद्ध में जीतते ही रहें हो ऐसा नहीं होता है , उनके बलिदान से भी समाज को दिशा मिलती है . अतः ऋणात्मक विचार पहले मन से निकाल दें , फिर आगे की  बात सोचें और सहायता लेनी हो तो  कुशल राजनीतिक विश्लेषक की सेवाएँ लें , उसे अपने साथ जोड़ें और धनात्मक प्रयास करें.

जल में मानवता रोती है

 जल में मानवता रोती है 
इंदिरा सागर बांध के कारण , जल सत्याग्रह शुरू हुआ ,
स्त्री - पुरुषों ने निज घर छोड़ा ,नर्मदा जी  में स्थान लिया.
 छोटी सी मांग, मुआवजा दे दो ,नेता - अफसर नहीं सुनते हैं ,
उनसे धरती को छीन रहे , असहाय और  बेघर करते हैं .
गर ऊंचे बांधों से लाभ मिलेगा ,, कृषकों का हक क्यों मारते हो ?
नौकरी - मकान तुम बाँट रहे , उन सबको क्यों अस्वीकारते हो ?
यदि वे हैं गलत , बाधा हैं बनते , जेल में क्यों नहीं बंद किया ?
लूटने का साहस है  तुममें , मारकर क्यों नहीं लूट लिया ?
शासन -संवेदना शून्य हुआ , मानवता वादी कुम्भकर्ण बने 
न्याय पुस्तकों में छुपा हुआ , मजबूर  कृषक संघर्ष करें 
शर्मनाक यह राष्ट्र- व्यवस्था , अक्षम लोगों के हाथ पड़ी ,
क्या इसी के लिए शहीद हुए ,कुराज के लिए थी जंग लड़ी 

शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

दिग्विजय सिंह महान जादूगर

                                                 दिग्विजय सिंह महान जादूगर 
   दिग्विजय सिंह एक महान जादूगर  हैं .यह उन्होंने अपने अनेक कारनामों से सिद्ध कर दिया है . नया विवाद ठाकरे परिवार का बिहार से आना है . इस विवाद से न तो राज ठाकरे अपने विचार बदलने वाले हैं और न जनता का भला होने वाला है . परन्तु अपने मायाजाल में उन्होंने मीडिया और लोगों को ऐसा उलझाया कि लोग कोयले आदि  के घपलों , मुंबई में हुए पुलिस के जवानों पर आक्रमण , पुलिस कमिश्नर   द्वारा पकड़े गए दंगाइयों को छुड़वाना , दंगा रोकने वाले पुलिस अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से डांटना कि उन्हें क्यों पकड़ा और इस काम के लिए महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार द्वारा उनको पदोन्नत करना जैसे मामले उनके हाथ की सफाई से उड़नछू हो गए .लोग  उनके  जादू  में  इतना  खो  गए  कि  वे  यह  भी  भूल  गए  कि मुंबई में ११ अगस्त को हुए दंगो को न रोकने और राज ठाकरे को भी क्षेत्रीयता फ़ैलाने  के लिए न रोकने का काम उनकी कांग्रेस सरकार क्यों नहीं करना चाहती है  . बंगला देशियों के मामले में चुप रहने ,असम के दंगों  में ४ लाख लोगों के विस्थापित होने देने  तथा  अनेक लोगों के  मारे जानेऔर घायल होने  से न रोकने तथा भयभीत  असमियों को बंगलुरु  में धीरज बंधाने के स्थान पर पलायन करने के लिए तीन विशेष ट्रेनों की व्यवस्था   करने  के पीछे केंद्र ,महाराष्ट्र और असम   की कांग्रेस सरकार की देश को पुनः विभाजित करने की कितनी  बड़ी चाल है  .जब -जब कांग्रेस सरकार आफत में फंसती है तो सोनिया जी के दायें हाथ की तरह काम करने वाले दिग्विजय सिंह कभी ठाकरे , कभी हिन्दू आतंकवाद , कभी संघ , कभी साम्प्रदायिकता के मुद्दे इतनी खूबसूरती से उछालते हैं कि लोग आसमान ही देखते रह जाते हैं और जमीन पर शातिर लोग अपनी योजनाएं  सफलता पूर्वक संपन्न कर लेते हैं .दिग्विजय  सिंह  को  शायद  यह  नहीं  मालूम  होगा  कि  कश्मीर  से  जाकर  पंजाब  में  बसने  वाले  एक  ब्रह्मण  परिवार  ने   इस्लाम  धर्म  अपना लिया  था  . २५०  वर्ष  बाद  उसमें  प्रसिद्द  शायर इकबाल हुए जिन्होंने धर्म के आधार पर पृथक पाकिस्तान का विचार सर्वप्रथम दिया था जो उनकी मृत्यु के ९ वर्ष बाद साकार हुआ . 


भूत होता है

                                                             भूत  होता  है  
   भूत को किसी ने देखा है या नहीं , नहीं मालूम, परन्तु भारत जैसे पुराने विचारों वाले देश में ही नहीं , समृद्ध और उन्नत अमरीका की भी बहुत बड़ी आबादी भूतों के अस्तित्व को मानती है .मैं भी कहता हूँ कि भूत होते हैं . और मैंने अनुभव किये हैं .इस सन्दर्भ में मैं अपने जीवन के बचपन , युवावस्था एवं प्रौढ़ावस्था की तीन अलग - अलग घटनाओं का वर्णन करूंगा . 
       बचपन  में हम कानपुर में एक सरकारी कालोनी में रहते थे . १९६० के पहले कि बात है . मैं तीसरी या चौथी में पढता था . हमारे  घर से ४ मकान आगे के मकान में रहने वाले मेरे मित्र के  पिता एक निजी कंपनी में में कार्य करते थे . उन्हें अक्सर बाहर जाना पड़ता था . शायद एक बार रिक्शे से गिर पड़े थे . उस समय उनकी आयु ५० वर्ष  रही होगी . वह बीमार रहने लगे थे . मेरे मित्र ने बताया कि उन पर भूत सवार रहता है . भूत भगाने के लिए कोई मौलवी साहब आते थे . मौलवी आकर क्या करता था , मुझे नहीं मालूम परन्तु उसने पहचान लिया था कि उन पर एक भूत सवार है .एक बार मैं कुतूहल वश  उनके घर जाकर भूत प्रक्रिया को देखने के लिए खड़ा हुआ तो मुझे समझाते हुए दरवाजे से दूर हटा दिया गया कि यदि भूत भागेगा तो रास्ते में खड़े आदमी अर्थात मुझे पकड़ लेगा . मेरा मित्र बताता  था कि मौलवी ने भूत को पकड़ कर बोतल में बंद कर दिया है और वह उस बोतल को कब्रिस्तान में दफ़न कर देगा . भूत को पकड़ने और दफ़नाने के लिए मौलवी ने क्या लिया मुझे नहीं मालूम , पर उनकी दिल में दर्द की बीमारी बढ़ गई . दोस्त का एक भाई दसवीं पास करके नौकरी करने लगा था . किसी की सलाह पर उसने पिताजी को ह्रदय रोग विशेषज्ञ   को दिखाया . धीरे - धीरे वे ठीक होते गए . बाद में उनको अपनी मूर्खता पर पश्चाताप भी हुआ और हंसी भी आई .
             १९७३  में मैं    एम्.एस-सी पास करने के बाद  मैं एक वर्ष की कालेज  व्याखाता  की नौकरी भी कर चुका . अवकाश में घर पर , वहीँ कानपुर में  था . एक दिन दोपहर में हल्ला होने लगा कि घर के सामने रहने वाले मेरे एक मित्र की युवा बहन पर भूत आ गया है . मैं भी दौड़ कर वहां पहुंचा .देख कर मुझे भी सिहरन हुई . वह लड़की पलंग पर लेटी हुई थी और चिल्ला रही थी कि तुमने मेरा संस्कार अच्छी प्रकार नहीं किया है . उसकी माता का कुछ समय पूर्व निधन हुआ था .लोग भी मानते थे कि उसके पिता ने विधान के अनुसार संस्कार , पिंड दान नहीं किये हैं .सिहरन पैदा करने वाली बात यह थी कि दीवार पर लटकी उसकी माँ कि फोटो को जब उसे दिया गया तो उसने फोटो सीने से लगा लिया और चुप हो गई . थोड़ी देर में वह निढाल हो गई . सबने कहा कि माँ आ गई है . तुरंत किसी झाडने वाले को बुलवा भेजा गया . सिहरन होने के बावजूद मैंने मित्र से पूछा कि उसे कोई अन्य बीमारी तो नहीं हुई थी . उसने बताया कि कुछ  दिन पूर्व उसे तीव्र ज्वर  हुआ था जिसे डाक्टर ने एक - दो दिन में ठीक कर दिया था . मैंने कहा कि संभव है किसी दवा की प्रतिक्रिया के कारण ऐसा हो रहा हो और उसके मस्तिष्क पर असर पड़  गया हो . मैंने सब कुछ देखने के बाद भी उसे सलाह दी कि इसे किसे अच्छे होमियो पैथ को दिखाना उचित होगा . मोहल्ले कि चाचियाँ   और मौसियाँ मेरी बात पर अप्रसन्न हो गईं कि सामने देखकर भी ऐसा कह रहे हैं . ये लड़के थोड़ा पढ़ क्या लेते हैं , अपनी मनमानी करते हैं जैसी बातें भी मुझे सुननी पड़ीं . मैं बड़ों का आदर करता रहा हूँ पर उस समय मैंने अपनी बात रखी और २२- २३ वर्ष के मित्र ने उसे मान भी लिया . उसे ले जाने के बाद शायद झाड़ने वाला आया था परन्तु उसके हाथ कुछ नहीं लगा . दवा देने के बाद उसे पुनः ज्वर हो गया जिसे वह होमियोपथ ठीक नहीं कर पा रहा था .शायद एक सप्ताह बाद उसे अन्य अच्छे इलोपैथ डाक्टर को दिखाया .वह शीघ्र ही ठीक हो गई . 
      तीसरी घटना  तीन  वर्ष पूर्व भोपाल की है . मेरे निकट सम्बन्धी की  ३७ वर्षीय बेटी , जो मोटी भी थी  , खाने और सोने के अलावा कुछ  समझती थी  तो यह कि अवसर मिलते ही माँ को कूटना है जो नित्य कर्म से लेकर सारी  देखभाल करती हैं . पिता डांट दें तो चुप हो जाती थी . हल्ला करना भी उसकी आदत में शुमार था . वह क्या बोलती थी कुछ समझ नहीं आता था ,  उसकी माँ समझती थी कि यह अपनी सास को कोस रही है और उसमें गालियाँ भी हैं जैसा सामान्यतः लोग बोलते नहीं हैं पर दूसरा उसे नहीं समझ सकता था . उसका तलाक हो चुका था . माता - पिता समझते हैं कि शादी के बाद उसके ससुराल में मारने - पीटने और सताने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है और उन्होंने उसे कुछ झाड- फूंक कर  खिला दिया है . मेडिकल कालेज के प्रोफ़ेसर एवं मनोरोग विशेषज्ञ डा. साहू को भी दिखाया गया जिन्होंने उसके सामान्य होने पर संदेह व्यक्त किया . पर  मेरी  दृष्टि  में  उसे  यूं  ही  छोड़ना  उचित  नहीं  था . माता - पिता अशक्त हो जायेंगे या नहीं रहेंगे तो देखभाल कौन करेगा . मैंने कहा कि हमें सतत प्रयास करने चाहिए  इससे कम से कम माता - पिता का तनाव कुछ कम होगा कि शायद अब कुछ लाभ हो जाये .
         मैंने उसके हल्ला करने के आधार पर कुछ होमियो पैथिक दवाएं प्रारंभ कीं . एक दिन उन्हें लगे कि आज कम  हल्ला   किया है पर एकाध दिन बाद फिर वही स्थिति . न तो अधिक धन खर्च हो रहा था , न दूसरा कोई रास्ता था , अतः दवाएं चलती रहीं . ६ माह बाद हम गुजरात घूमने गए थे कि लड़की की माँ ने अप्रत्याशित फोन किया . लड़की ने कोई शब्द साफ़ साफ़ बोला था . वह बहुत प्रसन्न थीं जैसे किसी छोटे बच्चे के बोलने पर घर वाले होते हैं . हल्ले कि स्थित भी कुछ तो कम थी . कभी -कभी कोई काम को भी हाथ लगाने लगी थी जिससे आशा की  जा सकती थी कि वह ठीक हो सकती है .एक - दो दिन बाद उसने परेशान करना शुरू किया , उतनी दूर से मैं क्या कहता अतः वे किसी सस्ते और अच्छे होमियोपथिक ट्रस्ट से इलाज करवाने लगे . पर उनके मन से यह भाव कभी नहीं गया कि उसके ससुराल वालों ने उसपर  जादू टोना किया है .
          एक दिन उसकी माता को या मेरी पत्नी को किसी ने बताया कि सर्वधर्म कोलर रोड में किसी महिला पर देवी आती हैं . उस समय वह सही भविष्य वाणी  तो  करती  ही हैं  झाड़- फूंक कर रोग मुक्त भी कर देती हैं . अनेक लोग ठीक भी हो रहे हैं .मुझसे पूछा गया , शायद वहीँ से लड़की ठीक हो जाये , कम से कम माता - पिता के मन से यह भय तो निकल जायेगा , दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था . मैंने कहा कि ले जाइए. पहली बार में लाभ लगा . सप्ताह में एक बार जाना पड़ता था . वहां तो खर्च नहीं था पर आटो से आने - जाने में २००  रूपये  तो लगते ही थे . लड़की ठीक नहीं हुई . फिर देवी ने कहा कि कि झाड़ - फूंक वाले एक और व्यक्ति हैं जो इसे पूरी तरह ठीक कर देंगे . उनके पास भी गए , देवीजी भी साथ गईं .उसकी माताजी ने मुझे बताया कि इसे नीचे लिटाकर नाभि पर कोई कटोरी या गिलास उल्टा रख दिया था . उसने मन्त्र पढ़े और कटोरी के नीचे से कुछ पदार्थ निकाल कर दिखाया कि यही उसके ससुराल वालों ने खिलाया था जो नाभि के रास्ते  निकाल दिया है . अब यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी पर कुछ नहीं हुआ . उसका इलाज तो चल ही रहा था . उसे थाईरायड भी ज्ञात हुआ  . उसका इलाज भी चला . आज वह कहने से कुछ  काम  करने लगी है , बोलने भी लगी है जिसे ध्यान से सुनकर दूसरे भी समझ सकते हैं , हल्ला - गाली भी न के बराबर है , मोटाप भी घटा  है . पूरी ठीक होगी या नहीं, नहीं मालूम .पर उसका भूत उतर गया है , कम से कम घर के लोग तो ऐसा मान सकते हैं . 
         भूतों की दुनियां विचित्र है . यदि झाड़ने के लिए किसी मुस्लिम को लायेंगे तो वह मुस्लिम भूत कहेगा , हिन्दू को लायेंगे तो हिन्दू भूत चढ़ा हुआ मिलेगा . भूत बाहर हो या न हो लोगों के मन में तो था , है और रहेगा . भूतों की सबसे अच्छी कहानी है . एक व्यक्ति जा रहा था उसे सामने से आते हुए आदमी ने अचानक  पूछा ,' आपने कभी भूत देखा है ?' व्यक्ति उसकी ओर देख कर कुछ कहता , सामने वाला गायब हो चुका था .