मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

पाप का फल

                               पाप का फल 

नीतिवान लोग कहते हैं 
' जैसी करनी , वैसी भरनी '
'पाप की  कमाई , कभी काम न  आई '.
परन्तु सब देख रहे  हैं 
बेईमान और भ्रष्टाचारी 
अपराधी और अत्याचारी 
फल - फूल रहे हैं
 और उनके बच्चे
 ऊंचे से ऊंचे उड़ रहे हैं .
देश की सारी व्यवस्थाएं  उनके हाथ हैं 
सरकार और न्यायालय भी उनके साथ हैं .
क्या नीतिवान पुरुष झूठ कहते हैं ?
क्या वे इस धरती पर नहीं रहते हैं ?

मेरे मित्र 
क्या तुमने इतिहास पढ़ा है ?
पाप का मार्ग किस ओर बढ़ा है ?
अफ्रीका के लोग 
खाते , पीते और जीते रहे 
शिक्षा , विद्या ,विज्ञान 
और विवेक से रीते रहे 
परिणाम स्वरूप उनके बच्चे 
गुलाम बन कर जीते रहे 
और सोने का भारत राष्ट्र 
जब जाति- धर्म के भंवर में खो गया 
कोई बड़ा और कोई छोटा हो गया 
समाज कूप - मंडूक   हो गया 
राष्ट्र  अज्ञानता और अंधकार  में सिमट गया 
 जाति - धर्म के नाम पर टुकड़ों में बँट गया 
हमारा राष्ट्र पिट गया और लुट गया .
जो समाज अन्याय और पाप करेगा 
जो समाज अन्याय और पाप सहेगा 
उसका दुष्फल 
आने वाली पीढ़ियों को 
रो - रो कर भुगतना पड़ेगा .  
योग्यता को नकारना पाप है 
काम चोरी और मक्कारी 
 महा पाप है .
सही शिक्षा और त्वरित  न्याय  न देना 
घोरतम  महापाप है .
जो समाज इनसे आँखे मूँद लेगा 
दुष्टों को दुष्टता  करने की  छूट देता रहेगा 
वह भविष्य में 
अपना सर्वस्व खोकर 
पातकी नरक में रोता रहेगा .
व्यक्ति को अपराध की  सजा 
 हो सकती है , नहीं भी हो सकती है 
 परन्तु पाप की  सजा 
दुष्ट और पापी व्यक्ति को नहीं 
उस समाज की भावी  पीढ़ियों को 
अवश्य भुगतनी पड़ती है . 

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