पाप का फल
नीतिवान लोग कहते हैं
' जैसी करनी , वैसी भरनी '
'पाप की कमाई , कभी काम न आई '.
परन्तु सब देख रहे हैं
बेईमान और भ्रष्टाचारी
अपराधी और अत्याचारी
फल - फूल रहे हैं
और उनके बच्चे
ऊंचे से ऊंचे उड़ रहे हैं .
देश की सारी व्यवस्थाएं उनके हाथ हैं
सरकार और न्यायालय भी उनके साथ हैं .
क्या नीतिवान पुरुष झूठ कहते हैं ?
क्या वे इस धरती पर नहीं रहते हैं ?
मेरे मित्र
क्या तुमने इतिहास पढ़ा है ?
पाप का मार्ग किस ओर बढ़ा है ?
अफ्रीका के लोग
खाते , पीते और जीते रहे
शिक्षा , विद्या ,विज्ञान
और विवेक से रीते रहे
परिणाम स्वरूप उनके बच्चे
गुलाम बन कर जीते रहे
और सोने का भारत राष्ट्र
जब जाति- धर्म के भंवर में खो गया
कोई बड़ा और कोई छोटा हो गया
समाज कूप - मंडूक हो गया
राष्ट्र अज्ञानता और अंधकार में सिमट गया
जाति - धर्म के नाम पर टुकड़ों में बँट गया
हमारा राष्ट्र पिट गया और लुट गया .
जो समाज अन्याय और पाप करेगा
जो समाज अन्याय और पाप सहेगा
उसका दुष्फल
आने वाली पीढ़ियों को
रो - रो कर भुगतना पड़ेगा .
योग्यता को नकारना पाप है
काम चोरी और मक्कारी
महा पाप है .
सही शिक्षा और त्वरित न्याय न देना
घोरतम महापाप है .
जो समाज इनसे आँखे मूँद लेगा
दुष्टों को दुष्टता करने की छूट देता रहेगा
वह भविष्य में
अपना सर्वस्व खोकर
पातकी नरक में रोता रहेगा .
व्यक्ति को अपराध की सजा
हो सकती है , नहीं भी हो सकती है
परन्तु पाप की सजा
दुष्ट और पापी व्यक्ति को नहीं
उस समाज की भावी पीढ़ियों को
अवश्य भुगतनी पड़ती है .
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