बुधवार, 25 सितंबर 2013

अपराधियों का चुनाव

अपराधियों का चुनाव 

लोकपाल हम क्यों लाएं , अपने विरुद्ध हम क्यों जाएं ,
अपने बाई - बंधुओं को , फांसी पर हम क्यों लटकाएं। 
अपराधी हमारे अपने हैं , अपराध उनकी लाचारी है ,
शक्ति भोगी वसुंधरा है , वे सत्ता के अधिकारी हैं। 
अपराधियों को कहाँ भेजें , कहाँ रहें भ्रष्टाचारी  ?
चुनाव लड़ना अधिकार सभी का , यही रहेगी नीति हमारी। 
अपराधी जेल में बंद रहें , उन्हें चुनाव लड़वाएंगे ,
न्यायालय अपना काम करें , हम उनको जितवाएंगे। 
कोर्ट सर्कार के लिए नहीं , जनता हित में खुलवाये हैं ,
अपराध बढ़ाने की खातिर , अनेक क़ानून बनाए हैं। 
क़ानून राजनीति  में दखल न दें , हम अपने नियम बनाते हैं ,
हम कोर्ट नहीं जाया करते , राजनीति में वे क्यों आते हैं। 
नेता न्यायाधीश से पूछें , अपराध समाप्त कराओगे ? 
गर अपराधी ही न होंगे , तो बोलो , तुम क्या खाओगे ?
जितने अपराधी ज्यादा हों , वे न्यायलय की शान हैं ,
आरोपी के सामने ऊंचे बैठ , सब जज बनते महँ हैं। 
न आओ तुम बहकावों में , राज हमें ही करने दो , 
हम भी रखेंगे ध्यान तुम्हारा , जैसा चलता है , चलने दो।   
 

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