गुरुवार, 24 मई 2012

जन्मदिन कि बहुत शुभकामनाएं

जन्मदिन कि बहुत शुभकामनाएं
जन्मदिन कि बहुत शुभकामनाएं 
पूर्ण हों आपकी सब कामनाएं 
स्वास्थ्य ,सफलता धन और मान
प्रभु दे प्रगति,  बढे सम्मान ..

मंगलवार, 22 मई 2012

सदाचारी राजा

                                                                  सदाचारी राजा 

  इक्ष्वाकु वंश में अनेक प्रतापी एवं सदाचारी राजा हुए हैं . उनमें से महाराजा दिलीप का नाम भी  बहुत आदर के साथ लिया जाता है .महाराज दिलीप के पास सर्व सुख वैभव थे परन्तु संतान नहीं थी . अतः वे दुखी रहते थे . एक दिन वे अपनी पत्नी सुदक्षीणा  के साथ  अपने राज गुरु महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में गए . दोनों ने गुरु जी  को प्रणाम किया . आश्रम में उनका भी सत्कार किया गया ,उसके पश्चात वे गुरूजी के सान्निध्य में आकर बैठ गए . महर्षि वशिष्ठ ने राजा से पूछा , ' राजन! आपके राज्य में सब कुशल तो है ?' उत्तर में महाराज दिलीप कुछ गंभीर होकर बोले , ' आपकी कृपा से इस राज्य में राजा ,मंत्री ,  राज्य( लोग + भूभाग )  , मित्र , राजकोष , सेना और  दुर्ग , सातों अंग भरपूर हैं ,अग्नि , महामारी , अकाल मृत्यु  जैसी दैविक विपत्ति और चोर डाकू शत्रु, आदि मानुषी आपत्तियों के निवारण के लिए आप बैठे ही हैं . ' राज्य चर्चा समाप्त होने पर उन्होंने गुरु जी से पुत्र न होने कि व्यथा व्यक्त की. गुरु जी ने पुत्र प्राप्ति हेतु यज्ञ    का आयोजन करने का निर्देश दिया .
  राजा दिलीप की  वाणी में कोमलता , मिठास और धैर्य था . वे अहंकारी नहीं,  सदाचारी थे .जैसे सूर्य अपनी किरणों से पृथ्वी का जल सोखकर , उससे सहस्त्र गुना जल वर्षा के रूप धरती को  देता है वैसे ही राजा दिलीप भी अपनी प्रजा कि भलाई के लिए प्रजा से कर लेते थे . वे प्रजा का पालन न्याय पूर्वक करते थे . राजा ने पत्नी सहित यज्ञ   किया एवं तपस्या में लग गए . बिना कठिन साधना के कोई  भी अभीष्ट प्राप्त नहीं किया जा सकता है .आशा के साथ साधना भी आवश्यक है .साधना करते राजा को बहुत समय व्यतीत हो गया . एक दिन जब वे गुरु जी के आश्रम जा रहे थे ,रास्ते में उन्होंने देखा एक सिंह गुरूजी कि गौ नंदिनी की  गर्दन पर सवार बैठा है . ऊन्होने तत्काल अपना हाथ तूणीर में रखे बाण पर रखा परन्तु दाएं हाथ कि अंगुली बाण के पंखों में चिपक गई और उनका हाथ बंध गया . उन्होंने सिंह से अनुरोध किया, ' हे सिंह !  गाय का बछड़ा सायं इसकी बाट देखता होगा . इसके न रहने से वह भूख से विह्वल  हो जायगा . अतःइस गौ के बदले तुम मुझे खा लो और इसे जाने दो .'राजा के वचन सुनकर सिंह ने कहा , हे राजन! लगता है कि तुममे सोचने कि शक्ति नहीं रह गई है तुम्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं , तुम्हें इसका कोई ज्ञान नहीं है. तुम एक साधारण गाय के लिए अपना सुन्दर शरीर, यौवन और इतना बड़ा राज्य छोड़ने के लिए तैयार हो गए हो  . यदि तुम प्राणियों पर दया के विचार से ऐसा कर रहे हो ,तो भी इतना त्याग ठीक नहीं है क्योंकि इस समय मेरा भोजन बनने पर तुम एक गाय की  रक्षा करोगे और यदि जीवित रहोगे तो पिता के समान तुम अपनी पूरी प्रजा कि रक्षा कर सकोगे .' सिंह की  इन बातों को सुनकर राजा ने कहा,' हे सिंह ! क्षत्रिय का अर्थ होता है क्षत ( आघात )से त्राण (  मुक्ति ) दिलाने वाला .यदि गौ रक्षा नहीं की तो राज्य किस कम का ?और अपयश लेकर जीते रहना  किस काम का ? चक्रवर्ती राजा का धर्म है गुरु भक्ति और स्वधर्म का पालन . ' 
       राजा ने देखा कि अचानक सिंह गायब हो गया है और नंदिनी हंस रही है . नंदिनी ने अत्यंत स्नेह से कहा , राजन ! मैं तुमसे प्रसन्न हूँ . तुम्हारी साधना पूर्ण हुई . वर मांगो .' राजा ने विनम्रता पूर्वक अपने पुत्र प्राप्ति कि इच्छा व्यक्त की. नंदिनी ने कहा कि तुम  मेरा दूध दुह कर  पी लो . तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी . राजा ने कहा , ' हे माँ !. मैं सोचता हूँ कि बछड़े के पी चुकने के बाद और हवन क्रिया से बचे रहने के बाद , ऋषि कि आज्ञा लेकर मैं मै उसी प्रकार आपका दूध ग्रहण करूँ जैसे मैं राज्य कि रक्षा के लिए लोगों से उनकी आय का छठा भाग ग्रहण करता हूँ . ' नंदिनी ने राजा का मान बढ़ाते हुए कहा , ' राजन ! तुम गौमाता के सच्चे पुत्र हो तुम्हारा चरित्र , धर्म व्यवहार , नीति आदि सब कुछ तुम्हारी महान पारिवारिक परम्परा के अनुकूल है . मैं तुम पर अति प्रसन्न हूँ . तुम्हारी इच्छा शीघ्र  पूर्ण होगी . ' राजा गौ को प्रणाम करके चला गया . समय आने पर राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जो इतिहास- पुराणों में भागीरथ के नाम से विख्यात  हुए .
 (कालिदास रचित रघुवंशम से )

क्या कालिदास , टैगोर और इलीयट बेकार हैं ?

                        क्या कालिदास , टैगोर और  इलीयट बेकार हैं ?
  
   भारतीय प्रेस परिषद् के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने एक वक्तव्य में   कालिदास , टैगोर और  इलीयट जैसे कवि और साहित्य कारों को बेकार बताया है . न्याया धीश और वह भी भारत के सुप्रीम कोर्ट के  , प्रत्येक प्रकरण में न्याय करने का न केवल अधिकार रखते हैं , बल्कि सक्षम भी हैं .यदि उन्होंने  'बेकार' कहा है तो ऐसा ही होगा . उसे कहीं भी चुनौती नहीं दी जा सकती है .
         अभी तक लोग कालिदास को विश्व के श्रेष्ठ कवि और साहित्यकारों में गिनते आ रहे थे . रवींद्र नाथ टैगोर को भी भारतीय ही नहीं विश्व के साहित्यकारों में गिना जाता है और बेचारे  टी एस इलीयट को तो सारे अंग्रेजी साहित्यकार बीसवीं सदी का श्रेष्ठ साहित्य कार मानते हैं . इसी धोखे में रवींद्र नाथ टैगोर और इलीयट को नोबेल पुरस्कार भी दे डाले . अब वे दोनों इस दुनियां में नहीं हैं . अतः नोबेल पुरस्कार तो उनसे वापस लिए नहीं जा सकते , हाँ , अन्य आवश्यक कार्यवाही कर सकते हैं जैसे उनका साहित्य जब्त करना और प्रति बंधित करना . उनपर आरोप यह है कि उन्होंने सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखा , गरीबों की  कोई सेवा नहीं की. अपने को अच्छा सभी कहते हैं , उनके साथी भी कहते हैं और अगर चमचे हुए तो वे भी कहते हैं . उनके वकील भी उन्हें निर्दोष साबित करने की भरसक कोशिश करते हैं परन्तु अच्छा जज अपराधी को पकड़ ही लेता है अब सिर्फ  उक्त तीन कवि - साहित्यकार ही पकड में नहीं आए हैं उनके ' जैसे' और लोग भी बेकार की लिस्ट में हैं   . मुझे तो अल्प ज्ञान है और जहाँ तक मैं समझता हूँ सूरदास और मीराबाई भी गरीबों के लिए कुछ नहीं बोले , तुलसीदास भी अपने राम का गुणगान करते रहे . प्रसाद, महादेवी वर्मा , पन्त तो प्रकृति में ईश्वर ही ढूंढते रहे , गरीबों की  ओर उन्हों ने देखने कि झूठी कोशिश  भी नहीं की .बिहारी तो वैसे ही दरबारी कवि थे . यदि ' जैसे ' साहित्यकारों कि सूची जारी कर दी जाती   तो युवकों का पढाई का ढेर सारा बोझ हल्का हो जाता . स्कूली बच्चों से न सही , युवा छात्रों से ही सही,बसते का बोझ कुछ  कम करने का काम  तो प्रारम्भ हो .
    कालिदास के सम्बन्ध में गुरुदेव टैगोर ने लिखा है ,
''हे अमर कालिदास ! क्या तुम्हारे सुख- दुःख और आशा- नैराश्य हमारी तरह नहीं थे ?क्या तुम्हारे समय में राजनीतिक खडयंत्रों और गुप्त आघात- प्रतिघात का चक्र हर समय नहीं चलता रहता था ?क्या उन्हें कभी हम लोगों कि तरह अपमान , अनादर अविश्वास और अन्याय सहन नहीं करना पड़ा . क्या तुम यथार्थ   जीवन के कठोर  अभाव से पीड़ित नहीं रहे ?क्या तुम्हें उस पीड़ा के कारण निर्मम रातें नहीं बितानी पडीं ?''
    उक्त कथन  से प्रतीत होता है कि उनकी कृतियाँ शांत और प्रशांत युग की  देन हैं . वह युग उलझनों , समस्याओं और विषमताओं से दूर था , बेचारे कालिदास को क्या मालूम था कि कोई ऐसा युग भी आयगा कि न्याधीश गरीबों के शोषण को नहीं रोक  पायेंगे , उन्हें न्याय नहीं दे पायेंगे और यह काम भी साहित्यकारों को करना पड़ेगा . उन्हें क्या पता था कि अन्याय के कारण गरीबों की हालात कितनी शोचनीय होगी . जिसका ज्ञान ही नहीं था , उसके लिए वे क्या लिखते ? इसलिए न्यायमूर्ति महोदय , वे क्षमा किये जाने के योग्य हैं .
       रवींद्र नाथ टैगोर साहित्यकार से अधिक दार्शनिक थे . अब दार्शनिक के लिए गरीब क्या और अमीर क्या ? अब देखिये न सुनने में आया था कि देश के युवराज राहुल गाँधी कुछ दिन गरीब बस्ती में क्या चले गए   कि झट से उनका गरीबी का कार्ड बन गया . गरीब के घर तो सरकारी राशन से ही रोटी बनेगी न .राशन कार्ड नहीं होगा तो उसके लिए अनाज कहाँ से आयगा ? और वैसे भी स्वतन्त्र भारत में छोटे- बड़े , गरीब- अमीर सभी लोग संविधान कि नजर में समान हैं . अतः इसका भेद करना उचित प्रतीत नहीं होता .
   इलियट साहब के बारे में मैं कुछ जानता नहीं हूँ . विदेशियों से मुझे क्या लेना -देना .
    सच बात तो यह है कि इन साहित्य कारों को दीन- दुनिया का कुछ पता नहीं चलता . आप इन्हें कानून की अच्छी से अच्छी किताब पढ़ने के लिए देकर देखिये , ये उसे बेकार कहकर किनारे धर देंगे . वे जज तो हैं नहीं कि बेकार पुस्तक को पढ़ने में अपना वक्त बर्बाद कर दें और और बाद में कह दें ' बेकार है '.
          मुझे लगा कि इस वक्तव्य के बाद साहित्यकार कुछ बोलेंगे ,परन्तु सभी छुप कर बैठ गए कि कहीं उनका नाम भी ' जैसे ' वाली हिट लिस्ट में न आ जाय . वैसे भी जज साहब आज जो गरीब- साहित्य लिखेगा , उसे गरीब भी नहीं पढ़ेगा . आज तो डर्टी पिक्चर का बोलबाला है . घर में रोना , कहानी में रोना , पिक्चर में रोना कौन पसंद करेगा . आज  गरीबों के नेताओं  में  कोई-कोई डर्टी  क्लिप देख कर ही तसल्ली कर लेते हैं और कुछ बाकायदा अपनी क्लिप बनवा कर आनंद लेते हैं . कम से कम आप जैसा इन्सान गरीबों के बारे में सोच रहा है और गरीबों के वास्ते इतने बड़े साहित्यकारों को कोसने का साहस भी कर रहा है यह हमारे देश का सौभाग्य है . देश  धन्य हुआ .
          

जन्म दिन आया

जन्म दिन आया , दक्ष को खूब बधाई .
जन्म दिन आया , घर में खुशियाँ छाईं.
चीं-चीं करती आई चिड़िया ,
नाच दिखाता मोर भी आया .
बन्दर ढपली खूब बजाए
भालू नाच दिखाता जाए ,
दक्ष को खूब हंसाया .जन्म दिन आया ....

पीं -पीं करती मोटर आये ,
सुन्दर डॉगी उसे चलाये ,
दक्ष को अपने संग ले जाए
दक्ष को खूब घुमाकर लाये ,
दक्ष को बहुत मजा आया . जन्म दिन आया ..

चंदा मामा दूर से देखे ,
ऊपर से इक परी को भेजे ,
परी खिलौने ले के आई
दक्ष को देती दूध मलाई .
दक्ष को खूब खिलाया .जन्म दिन आया ...

प्यारे-प्यारे बच्चे आये
हैप्पी बर्थ डे कहते जाएँ
दक्ष ने अच्छे केक को काटा
प्यार से केक को सबमें बांटा
सबको खूब नचाया .जन्म दिन आया ...

युग-युग जिए दक्ष हमारा
लगता रहे यह सबको प्यारा
बुद्धि , ज्ञान और स्वास्थ्य हो अच्छा
हँसता रहे सदा यह बच्चा ,
सब का आशीष पाया . जन्म दिन आया ..

तुम्हें कभी कोई कष्ट न होवे
ईश्वर तुम्हें सदा सुख देवे ,
सर्व गुण से संपन्न बनो तुम
तुम पर हो ईश्वर कि छाया .जन्म दिन आया ...

प्रिय दक्ष को प्रथम जन्म दिन पर
माता-पिता , दादी-दादा , चाची-चाचा का

असीम स्नेह और आशीर्वाद

हम महान हैं


                                                                         हम महान हैं 
        हम आदिकाल से महान रहे हैं ,आज भी हैं , कल भी रहेंगे . राष्ट्र , राज्य , शहर ,कहीं से भी टटोलें , कण- कण में महानता के दर्शन होते हैं .
 पहले राष्ट्रीय स्तर पर महानता का वर्णन किया जाय . अपने देश में एक प्रधान मंत्री मिस्टर क्लीन नाम के हुए हैं . राजीव गाँधी का नाम बोफोर्स कांड में घसीटा गया तो वे अपने प्रिय मित्र अमिताभ बच्चन को पीछे नहीं छोड़ पाए . मित्र वही जो सुख में साथ रहे तो दुःख में भी रहे और न रहना चाहे तो जबरन रखना चाहिए . सो सी बी आई से कहकर उनका नाम भी जुड़वा दिया . अमिताभ बच्चन धन कमाने के लिए किसी भी चीज का विज्ञापन कर सकता है पर कमाता तो मेहनत से है , चाहे फिल्म हो या विज्ञापन . इसलिए जब उसके विरुद्ध घूंस खोरी सिद्ध नहीं हो पाएगी तो राजीव गाँधी भी बच निकलेंगे . वैसे राजीव गाँधी ने अपनी ईमानदारी का प्रमाण जनता को देने कि कोशिश की थी जब उन्होंने यह कहकर कि सरकार द्वारा लोगों के लिए दिए हुए एक रुपये में से जनता तक सिर्फ १५ पैसे ही पहुँच पाते हैं ,अपनी सरकार में घुसे डकैतों की तारीफ की थी . अब जब यह साफ़ हो गया कि अमिताभ बच्चन का नाम उसमें जबरदस्ती  जुड़वाया गया था, राजीव ने स्वयं घूंस नहीं खाई थी  सिर्फ घून्सखोरों को बचाया था तो यह उनकी मजबूरी रही होगी क्योंकि ' सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ ' सचमुच राजीव गाँधी महान थे. 
   भाजपाइयों ने गुजरात की ८३ वर्षीय दबंग राज्यपाल  कमला बेनीवाल के सम्बन्ध में एक शगूफा छेड़ा कि वे १००० करोड़ रुपये के जमीन स्कैंडल की अहम् किरदार हैं और उन्होंने जयपुर विकास प्राधिकरण से एक बेश कीमती भूभाग प्राप्त किया है और उसपर शानदार बंगला भी बनवा लिया है . कहते है कि जयपुर में एक सहकारी समिति १९५३ में बनाई गई थी . शासन से जमीन लेकर सबने मिलजुल कर खेती की. कमला बेनीवाल  १९७० में उसकी सदस्य बनीं परन्तु उनको भी १९५३ का सदस्य ही माना जाता है कमला बेनीवाल अनेक वर्षों तक राजस्थान सरकार की मंत्री रहीं . खेती करने में कमला बेनीवाल सहित  समिति के सदस्यों ने बहुत परिश्रम किया . उन्होंने ४१००० दिनों तक (११२ वर्ष ४ माह ) तक प्रतिदिन १६ घंटे काम किया . बजाये उनकी प्रशंसा करने के उन पर राजनीतिक दोष मढ़ दिया . इतनी कड़ी मेहनत करके उन्होंने अगर एक प्लाट और मकान प्राप्त कर भी लिया तो कौन सा आसमान फटा जा रह है?क्या जमाना आ गया है लोग मेहनत कश इतने महान मजदूरों से तनिक भी सहानुभूति नहीं रखते हैं पर यह तो तय हो गया कि इस देश को महान लोग ही चला रहे हैं .
   नगर के लोग भी कम नहीं हैं . सड़कों में गड्ढे खोदना नगर निगम और उनके मित्रों का सर्वाधिक प्रिय शगल है . भोपाल नगर निगम ने तो बाकायदा मीलों लम्बी सड़क वर्षों से खोद रखी थी ताकि लोग उनमें गिरें और मरें या कम से कम नर्सिंग होम में तो भरती हों .कलेक्टर कमिश्नर के कार्यालय के सामने तो उन्होंने परमानेंट गड्ढे खोद रखे थे ताकि कम से कम लोग उन्हें परेशान करने जा पाएं .नगर-निगम के  नेता - अफसर कहीं से भारी कर्जा पा गए . मोटी सडक बनवा डाली ताकि एक ही सड़क को वर्षों तक खोदने का लाभ मिलेगा . जैसे ही चिकनी सड़क बनकर तैयार हुई  निगम के खुदैये  मय मशीनों के आ धमके और लगे खोदने जैसे किसी खदान को खोदने का अवैध पट्टा मिल गया हो .सबसे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री समेत बड़े अफसरों के फोन खोद डाले ताकि कोई उन्हें बता न सके . उनसे पूछो कि  भाई इतनी अच्छी सड़क बनी है , क्यों खोद रहे हो तो उनका एक ही जवाब रहता है कि सड़क को जितनी बार खोदा जायगा उतनी बार मंत्री से लेकर मजदूरों  तक, अनेक लोगों को रोजगार मिलता है . इससे देश कि बेरोजगारी कम होती है . अमरीका , यूरोप सब बेरोजगारी से परेशान हैं . हम रोजगार दे रहे हैं . हम महान हैं . 
     जनता धन की  लूट है , जमकर  उसको   लूट 
     यदि  जनता जाग गई , तो कुर्सी जाएगी छूट