सोमवार, 25 मार्च 2013

शरारती गोलू


   शरारती गोलू 


अच्छी है भारत सरकार ,
बच्चों का क़ानून बनाया.
बच्चे बहुत हैं प्यारे होते,
‘उनकोनमारें’ नियम बनाया
बड़ा ही नटखट गोलू था ,
पिज्जा बर्गर वह खाता था,
रोटी-सब्जी अच्छीन लगती  
नूडल-मैगी उसे भाता था.
कार्टून टी वी पर वह देखे,
कंप्यूटर पर रहता बैठा ,
गोल-मोल वह होता जाता ,
सदा ही रहता ऐंठा ऐंठा .
दूध-दही अच्छे नहीं लगते  
मीठे का था वह शौक़ीन
चिप्स का पैकेट उसे चाहिए
स्वादयुक्त हों सब नमकीन
मोटा वह होता जाता था
अन्दर से था पोलमपोल
पढने-लिखने से चिढ़ता था
बुद्धि हो गई उसकी गोल
स्कूल जाना अच्छान लगता
 माता थी स्कूल भिजवाती
स्कूलमें जाकर ऊधम करता
 टीचर भी उसको समझाती
 मम्मी गन्दी,टीचर गन्दी
पढने को क्यों कहते हैं
उसको बहुत क्रोध आता था
उसे क्यों नहीं समझते हैं .
गोलू जब कच्छा में आता
बच्चों को बहुत सताता था टीचरकी वह बात न सुनता  
बच्चों को बहुत रुलाता था.
उससे तंग आकर माता ने
एकदिन कर दी खूब पिटाई  
टीचर ने भी उसको कूटा
उसने थाने में रपट लिखाई.
पुलिस ने मां–टीचरको डाटा
रक्षाकरने इक पुलिस लगाईं  
घर-बाहर हुआ मस्त गोलू
उसने सबकी नींद उड़ाई .
लोगजब उसकीरपट लिखाते     
थानेदार चुप बैठा रहता
सरकारी क़ानून बनाया ऐसा
वह गोलूको कुछनहीं कहता
बच्चे से गोलू बड़ा हुआ
परेशां सभी को करता था
छीना-झपटी , गाली देता
किसीसे वह नहीं डरता था.
गोलू अब बच्चा नहीं रहा
जैसेही पुलिसको याद आया  
गोलूको पकड़ के बंद किया
सींखचों के पीछे पहुंचाया .
गोलू जब जेल में बंद हुआ
कई गोलू उसको वहां मिले
सिरदर्द बने थे वे सबके
नेता-गुंडों के भाग्य खिले .
अभिभावक सबके रोते थे
घर के चिराग बर्बाद हुए
उलटे क़ानूनकी उपज थे ये
क्या इसीलिए आजाद हुए?
बच्चोंका शुरू से ध्यान करें
पौष्टिकआहार उन्हें नित दें
अच्छी बातें सिखलाएँ उन्हें
अभिभावक उनकोभी समझें
बच्चे इस देश के वारिस हैं
प्यार से अच्छी शिक्षा दो
गलती पर डांटना बुरा नहीं
उनकी रूचिकाभी ध्यानकरो. 

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