भ्रमित अन्ना टीम
अन्ना जी के दल में किसी को यह नहीं मालूम कि उसे आगे क्या करना है . कभी कहना पार्टी बनाएंगे , कभी कहना कि अलग रहेंगे , लोगों को भी भ्रमित करता है .इनके सदस्यों को पुराना इतिहास नहीं मालूम . १९८० के चुनाव के पूर्व विद्यार्थी परिषद् ने ऐसा ही अभियान चलाया था कि चुनाव में ऐसे को वोट मत दो - वैसे को दो . सारी पार्टियाँ एक दूसरे की बुराइयां करती हैं , अपनी तारीफ करती हैं , लोग कैसे तय करते कि कौन अच्छा है - कौन ख़राब . नई -नई बनी भाजपा को भारी क्षति हुई . मैंने उन्हें भी समझाया था कि जिसे जिताना चाहते हो उसके पक्ष में प्रचार करो , पहेलियाँ न बुझाओ पर ऊपर से बड़े लोगों के आदेश थे . उनका समय और धन दोनों ख़राब हुए . आज केजरीवाल यह नहीं कहते कि जन लोकपाल के आगे राष्ट्र कि समस्याओं का हल वे कैसे करेंगे . हमारा समर्थन प्राप्त व्यक्ति यह नहीं करेगा , वह नहीं करेगा , गड़बड़ करेगा तो उसको कान पकड़ कर बाहर कर देंगे , पर इससे जनता को क्या लाभ होगा ?राजनीति में आना है तो खुलकर आइये , क्रन्तिकारी युद्ध में जीतते ही रहें हो ऐसा नहीं होता है , उनके बलिदान से भी समाज को दिशा मिलती है . अतः ऋणात्मक विचार पहले मन से निकाल दें , फिर आगे की बात सोचें और सहायता लेनी हो तो कुशल राजनीतिक विश्लेषक की सेवाएँ लें , उसे अपने साथ जोड़ें और धनात्मक प्रयास करें.
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