सोमवार, 18 मार्च 2013

रामराज्य , जागो , देश के प्यारों जागो


रामराज्य

सत्यवचन, जनभावना, तदनुसार हों काम ,
भय,आतंक निवारिये, यही राम के नाम.
दैहिक,दैविक ,भौतिक तापों से , मुक्त हों सब इंसान ,
निज स्वार्थ को त्यागिये , सबका कीजिये सम्मान .
सुन्दर बनें विचार ,कभी न लोग दुखी  हों ,
राम राज्य का अर्थ ,कि सब संपन्न- सुखी हों .
स्वार्थ , लोभ,भय, ईर्ष्या ,भूख,प्यास,अज्ञान ,
स्नेह,सुरक्षा , क्रूरता ,सब जीवों में एक सामान .
 सब जीवों में एक सामान, प्रेम,वासना और निद्रा,
पशु न जाने बोल ,भविष्य,योजना और मुद्रा .
बस भरता जाए पेट ,विपदा में रहे बेचारा ,
कर सके न कोई प्रयास ,भाग्य बस एक सहारा
.जिनमें है विद्या नहीं ,न ताप ,न दान विचार ,
बोझ बने हैं धरती पर ,उन लोगों को धिक्कार .
उन लोगों को धिक्कार,जो लगते मानव जैसे ,
न कर्म, न कोई विचार ,मनुष्य बनें वे कैसे .
बुद्धि,ज्ञान करुना क्षमा , साहस, सहयोग-विचार ,
सच्चा मानव उन्हें मानिए ,वसुधा जिनका परिवार .
उन्माद,शत्रुता,आक्रमण, विस्फोट,विध्वंस ,संहार,
राक्षसों के ये कर्म हैं ,संस्कृति पर करें प्रहार .
संस्कृति पर करें प्रहार, वे मानवता के दुश्मन ,
हत्याएं लूट-विचार ,प्रफुल्लित हो उनका मन .
छोटेराक्षस रहें छिपकर,प्रतीक्षा वे अवसरकी करते,
महा राक्षस होते मायावी,वे सत्ता में बैठ विचरते.
विश्व का इतिहास है ,इस तथ्य का प्रमाण ,
विध्वंस-कर्म न रोक सके ,जनता का कल्याण.
जनता का कल्याण है देव शक्ति की जीत ,
विद्या,ज्ञान,सेवा,उत्साह,जनहित-कर्म,संगठनऔर प्रीत.
स्वार्थभाव से रहित निरंतर काम जो करते ,
ईश्वर देता है शक्ति ,प्रगति की सीढ़ी चढ़ते .

जागो ,देश के प्यारों जागो
यह देश तुम्हें पुकार रहा है   
गद्दार तुम्हें ललकार रहा है .
गद्दारों ने हैं जाल बिछाए
अच्छे –अच्छे उसमें फंस जाएँ.
स्वयं को जो सरकार हैं कहते जमकर भ्रष्टाचार हैं करते .
ये सब गद्दारों के रक्षक
रक्षक इसी लिए बने हैं भक्षक .
कोई संतुष्ट नहीं दिखता है
सब वर्गों में कष्ट मिलता है.
यह कैसी शासन पद्धति है
जिसमें जन की नहीं सम्मति है.
यह कैसा गणतंत्र बनाया
यह कैसा क़ानून बनाया  .
लूट खसोट स्वयं स्वीकृत है
उसके विरोधकी  नहीं अनुमति है
किसका यह देश कोई न जाने
अपने ही लोग बने अनजाने .
तुम अपनी ताकत पहचानो
अहित कार्य को कभी न मानो .
जिनसे देश के टुकड़े होते
ऐसे क़ानून बनाए किसने .
तुम अपनी आत्मा  से पूछो
पग-पग पर शूल उगाये किसने.
जागो देश के प्यारों जागो
डटे  रहो पीछे न भागो  
तुम ही मालिक हो बस्ती के
तुम ही राजा इस धरती के .
तुमको लोकतंत्र है लाना
रामराज्य को पुनः बनाना.





  

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