रविवार, 9 सितंबर 2012

जल में मानवता रोती है

 जल में मानवता रोती है 
इंदिरा सागर बांध के कारण , जल सत्याग्रह शुरू हुआ ,
स्त्री - पुरुषों ने निज घर छोड़ा ,नर्मदा जी  में स्थान लिया.
 छोटी सी मांग, मुआवजा दे दो ,नेता - अफसर नहीं सुनते हैं ,
उनसे धरती को छीन रहे , असहाय और  बेघर करते हैं .
गर ऊंचे बांधों से लाभ मिलेगा ,, कृषकों का हक क्यों मारते हो ?
नौकरी - मकान तुम बाँट रहे , उन सबको क्यों अस्वीकारते हो ?
यदि वे हैं गलत , बाधा हैं बनते , जेल में क्यों नहीं बंद किया ?
लूटने का साहस है  तुममें , मारकर क्यों नहीं लूट लिया ?
शासन -संवेदना शून्य हुआ , मानवता वादी कुम्भकर्ण बने 
न्याय पुस्तकों में छुपा हुआ , मजबूर  कृषक संघर्ष करें 
शर्मनाक यह राष्ट्र- व्यवस्था , अक्षम लोगों के हाथ पड़ी ,
क्या इसी के लिए शहीद हुए ,कुराज के लिए थी जंग लड़ी 

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