गुरुवार, 29 अप्रैल 2010
बच्चों पर धारा 144
भोपाल में विद्यालयों में धारा १४४ इसलिए लगा दी गई कि कोई बालक - बालिका स्कूल न जा सके क्योंकि कलेक्टर का आदेश है कि गर्मी के कारण विद्यालय १६ अप्रेल से २० जून तक बंद रहें.अभी तक धारा १४४ का उपयोग लोगों द्वारा झगडे फसाद के लिए इकट्ठे होने अथवा बल्बा आदि को रोकने के लिए किया जाता था , अब इसका कार्य बच्चों को स्कूल जाने से रोकने के लिए भी होने लगा है । पता नहीं बच्चे पढ़ - लिख कर सरकार के लिए कौन सी मुसीबत खड़ी कर दें ! अनिवार्य बाल शिक्षा कानून लागू हुआ नहीं कि उसे रोकने के लिए धारा १४४ कि आवश्यकता आ पड़ी । काम बच्चों को पढाई से रोकना है ,बहाना गर्मी का बना लिया! सरकारी स्कूलों का काम तो बच्चो को पढाई से दूर रखना है , शिक्षकों को स्कूलों से दूर रखना है ,उसके लिए चाहे कोई भी नौटंकी करनी पड़े । प्राइवेट स्कूलों में भी पढ़ाई बंद करवा देंगे तो पढने वाले बच्चे कहाँ जायेंगे ? प्रत्येक कक्षा का वर्तमान पाठ्यक्रम बहुत अधिक है । अभिभावक भारी फीस देंगे और बच्चे पढ़ेंगे भी नहीं ।जो बच्चे गरीब हैं , ट्यूशन नहीं जा सकते, उनका कोर्स कौन पूरा करवाएगा? परीक्षा के समय वे तनाव में आ जायेंगे .कम्पटीशन में वे पिछड़ जायेंगे.क्या यह सरकार उन्हें अच्छी संस्थाओं में मनचाहे पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलाने का वायदा भी करती है ?वायदा कर भी नहीं सकती क्योंकि उसका उद्देश्य है ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना है जो २-३ रुपये किलो अनाज पाने के लिए नेताओं का मुंह देखती रहे और इतना कमाए खाए कि उन्हें वोट देने के लिए जिन्दा रहे। सत्ता में बैठे लोगों में थोड़ी भी नैतिकता होती तो स्कूल बंद करने के स्थान पर वहां पानी की व्यवस्था करते, पंखे -बिजली कि व्यवस्था करते,उनके लिए अच्छी बस की व्यवस्था करते.अमेरिका -यूरोप के अनेक हिस्सों में जीरो से २० डिग्री से भी नीचे तापक्रम रहता है , वहां ऐसी सोच वाले लोग पैदा हो जाएँ तो उनका सारा देश ही जम जाये।
इंग्लैण्ड में शिक्षा के बारे में नेहरूजी ने कहा था कि वहां अभिभावक बच्चों की शिक्षा में बहुत कड़ाई रखते है.इतनी गर्मी से डरने वाले लोग होंगें तो सेना में कौन जायेगा, जंगलों में आतंकिओं से लड़ने के लिए पुलिस में कौन भरती होगा ? इसका दूसरा पक्ष है की भविष्य में सेना -पुलिस में वही जायेगा जो स्कूल न जाता रहा हो और उसे इस बात का पता ही न हो कि धारा १४४ क्या होती है ! यदि सभी पढ़-लिख कर कमजोर बन जायेंगे तो राष्ट्र विरोधी ताकतों से ये नेता लड़ने जायेंगे या अफसर जिन्होंने अकूत संपत्ति जमा कर ली है ?
स्कूल शिक्षा विभाग का आदेश है कि बच्चों को स्कूल बुलाकर समारोह पूर्वक पुसतकें बांटी जाएँ । खाऊ - पिऊ विभाग का फरमान है कि गर्मिओं में भी बच्चों को खाना बाँटना होगा .ऐसी स्थिति में धारा १४४ में किसे बंद करेंगे -बच्चों को , उनके मां -बाप को, उन्हें न्योता देने वाले बेचारे गुरुओं को अथवा उन्हें बुलवाने वाले मंत्री -अफसरों को जो धारा १४४ के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। अन्य परिस्थितियों में तो ऐसे तत्वों को तत्काल हिरासत में ले लिया जाता है.
सरकार और उसके अफसरों के पास बहुत से दूसरे जनहित के कार्य भी हैं, उन्हें इस प्रकार के छोटे - छोटे कामों में हस्तक्षेप करना शोभा नहीं देता । माता - पिता ओर शिक्षकों को भी अपने बच्चों कि चिंता होगी। वे पढ़ाई के साथ - साथ उनके स्वस्थ्य कि चिंता भी करेंगे। असुविधा होगी तो वे स्वयं बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.अतः इसे स्कूलों पर ही छोड़ देना उचित होगा.
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