मनमोहन की बांसुरी
राजा मनमानी करे, चिदंबरम दे साथ ,
मनमोहन की बांसुरी ,सोनिया जी के हाथ .
सोनिया जी के हाथ नचाएँ सबके पुतले
जबतक चलता खेल नेता सब मिलकर खेलें.
जनता है हैरान ,देखकर उनकी माया ,
मची लूट पर लूट कहीं कोई समझ न पाया .
हम सरकार हैं
सीना तान बढ़ा रहे मंहगाई , भ्रष्टाचार ,
कहते हम सरकार हैं जनता है लाचार .
जनता है लाचार ,वोट जब देने जाते
जाति - धर्म को देख , बटन दबा कर आते .
नेता हैं चालाक , एक दिन खूब लुटाएं ,
एक बार गए जीत , जन्मों तक मौज मनाएँ.
भ्रष्टाचारी
हर भ्रष्टाचारी चाहता घूंस न खाए कोय ,
मुझको धन मिलता रहे , उस पर रोक न होय .
उस पर रोक न होय,ऐसा कानून बनाएं ,
दूसरा रुपये खाय , उसे जेल पहुंचाएं .
सबका एक विचार , कि जो ईमान बताएं,
कर दो उनको दूर , कि टांग साथ ले जाएँ .
छोटन को उत्पात
क्षमा बड़न को चाहिए , छोटन को उत्पात ,
कवि रहीम सिखला गए , नेताओं को यह बात .
नेताओं को यह बात .,सेवक बने रहो प्रत्यक्ष ,
सारे उत्पात हों माफ़ , लूट खसोट में होगे दक्ष .
नेता -अफसर की जात दिखावटी करती सेवा,
जनता खड़ी निरीह , ये खाते जाते मेवा .
बड़ों को संरक्षण
छोटों को भ्रष्ट दिखाएँ ,इस शासन के वीर ,
मगरमच्छों को छोड़ दें ,उधर न चलते तीर .
उधर न चलते तीर, ऊपर से दें संरक्षण ,
छापेमारी के खेल में छोटों को आरक्षण .
एक हो बढाएं वेतन , करें मिलकर भ्रष्टाचार
सुशासन का प्रचार कर रही यह ढोंगी सरकार .
आनंद
घूंस ,गबन या लूट हो ,या चोरी का मॉल
मॉल-ए- मुफ्त की ख़ुशी की मिलती नहीं मिसाल .
मिलती नहीं मिसाल आनंद तुम्हें हो लेना ,
करते रहो ऐसे काम , सबको दुःख पड़े सहना .
चुगली ईर्ष्या की राह , सरल सबसे है होती ,
एक बार जो चख ले स्वाद , इच्छा कभी तृप्त न होती .
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