गुरुवार, 16 अगस्त 2012

मनुर्भव , आजादी का सपना

                          मनुर्भव
ईश्वर ने तुमको मनुज बनाया ,तुम ऐसे इन्सान बनो ,
अपने और पराये में तुम , कोई भेद नहीं समझो .
व्यवहार तुम्हारा ऐसा हो , जैसा तू न्य से चाहते हो .
स्वयं जियो और जीने दो का, सिद्धांत अटल तुम मानते हो .
पशु और मनुष्य में भेद प्रमुख , पशु सोच और बोल नहीं सकता .
पशु खा सकता है ,पी सकता है , सृजन नहीं कोई कर सकता .
निद्रा , वंश-वृद्धि ,और उदरपूर्ति ,पशु ,मानव में समान है होती .
पशु तुल्य जिनका जीवन होता , उनकी किस्मत है सोती रहती .
तुम मानव हो निर्माण करो ,सर्व जन हिताय कुछ काम करो .
अपनी आत्म शक्ति पहचानो , आदर्श कार्य निष्काम करो .
जीवन के क्षेत्र अनेकों हैं , जिनमें यश , धन और मान मिलेगा .
लगन से आगे बढ़ते जाओ, ईश्वर ख़ुद मार्ग प्रशस्त करेगा  ..
                  आजादी का सपना
श्रम ,मेधा ,मौलिक चिंतन से जन-जन का तुम जीवन भर दो .
हर नागरिक हो जाये शिक्षित , सच्चा नेक काम यह कर दो .
सब हों सुखी ,नीरोग सभी हों ,ऐसा तुम यह राष्ट्र बनाओ .
सर्व समाज को अपना समझे ,मानवता की अलख जगाओ.
लालच ,भ्रष्टाचार रहित हों , सब समझें  यह देश है अपना .
सब मिलकर रहें , एक हो जाएँ ,सच्चा हो आजादी का सपना .
न दरिद्र हों ,न हों अशिक्षित ,ईर्ष्या ,द्वेष ,विकार  न होवें ,
ढाई अक्षर प्रेम का समझें , देश में सबकी गरिमा होवे ..

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