गुरुवार, 16 अगस्त 2012

राजनीति (kavita)

                   राजनीति
फूट डालो और राज करो , अंग्रेजों का सिद्धांत .
ऐसा सबको समझा रही ,नेताओं की जात   ..१..
भारत का इतिहास है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण .
ईर्षा , द्वेष और शत्रुता , राजाओं की थी शान .२.
दो बिल्ली जैसे लड़ा करें ,देश के खेवनहार  .
बन्दर जैसे अंग्रेज थे , लूट  लिए भण्डार.३.
मीरजाफर और सिराजुद्दौला का ,है प्रसिद्द इतिहास .
कैसे मैं सत्ता हथियाऊं , अंग्रेजों से थी आस .४.
युद्ध में मीरजाफरबने , गद्दारों के सरदार .
सिराजुद्दौला को मरवा दिया ,कर गए बंटाढार .५.
अंग्रेजों की कठपुतली बने ,बंगाल के नए नवाब .
यह अनुभव उन्हें सिखा  गया , राजा बनने का ख़्वाब .६.
अंग्रेजों ने जब गौर से देखा देश का हाल .
चारों तरफ़ ही फूट थी , भारत था बेहाल .७.
१८५७ के संग्राम में अंग्रेजों का देकर साथ .
गद्दारों की कौम ने , मजबूत किये उनके हाथ .८.
आँख खोलकर देखिये , नवाब-राजाओं की नीति .
शोषण तक सीमित रही , गद्दारों की राजनीति .९.
अपने महल बना लिए , ऐय्याशी के चलते जाम .
जनशिक्षा और कल्याण के ,किये नहीं कोई काम .१०.
उनका सिद्धांत तो एक था , लोगों में रहे अज्ञान .
जितने वे निर्धन रहें ,उतनी राजा की शान .११.
रेल सड़क के नाम पर , उनके थे एक विचार ,.
ज्ञान -समृद्धि की वृद्धि से ,जनता होगी होशियार .१२.
जागरूक इन्सान तो , रखेगा तर्क की बात .
तर्क से नष्ट हो जाएगी , हम सामंतों की जात .13.
नव सामंतों ने इतिहास से , निकाला  यह निष्कर्ष .
लोगों में जितनी फूट हो , उतना बढेगा हर्ष .१४.
ये कूप -मंडूक बने रहें ,अज्ञान का हो विस्तार .
नेताओं की उतनी जीत है , जनता की जितनी हार .१५.
जाति -धर्म के नाम पर , बांटा  राष्ट्र -समाज .
अमीर - गरीब अलग रहें , ऐसे उनके काज .१६.
अमीर से धन लेते रहें , गरीब  के वोट चुराएं .
मीठ- मीठा बोलकर , पग-पग पर भेद बढाएं .१७.
चारों तरफ़ निहारिये , किसका रहा विश्वास .
बहुरूपिये भ्रष्टाचार ने , सबको किया निराश .१८.
अंग्रेजों इन नेताओं में , दो  ही मुख्य हैं भेद .
वे थे राजा के रूप में . ये हैं सेवकों के  भेष .१९.
अंग्रेजों ने धन लूटकर , समृद्ध किये अपने देश .
नेताओं ने धन लूटकर , समृद्ध किये परदेश.२०.

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