सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

नव ग्रह आराधना

    नव ग्रह  आराधना 
ब्रह्मा विष्णु शंकर प्रसन्न हों ,जीवन में उत्साह भरें .
सभी ग्रह हों अनुकूल प्रभुजी ,स्वस्थ रहें , धन-धान्य  बढ़ें ..

सूर्य देवता आत्म शक्ति दें ,जीवन विश्वास से हो भरपूर .
मैं हूँ कौन , कहाँ से आया , क्या करना संशय हो  दूर .
जीवन लक्ष्य सुनिश्चित हों , हमें दूरदृष्टि दें , मार्ग दिखाएँ .
साधन से संपन्न बनें हम ,उस पथ पर आगे बढ़ते जाएँ .

चन्द्र देव मनमंदिर में , आलोक करें और धैर्य बनाएं .
मन स्थिर हो , सक्रिय हो ,उत्साह रहे और लक्ष्य को पायें .

मंगल ग्रह दें शक्ति हमें , शरीर हमारा पुष्ट सबल हो .
रहें हम भय से मुक्त सदा ,गृह - भू की ,संपत्ति अटल हो .

बुद्ध , बुद्धि की वृद्धि करें , दें ज्ञान औ'  विद्या बढती जाए .
भाषा मधुर , तथ्यपूर्ण हो ,व्यक्तित्व हमारा सबको भाए .
गुरु विवेक दें , नई सोच हो , ज्ञान - विज्ञान के दीप जलें .
धन- संपत्ति- सुख बढ़ें हमारे, नव आशाओं के फूल खिलें .

शुक्र प्रेम दें , सुन्दर - शिव हो , वसुधा का परिवार हमारा .
वाहन सुख हो , कला - प्रेम हो , आनंद की बहती रहे धारा 

शनि प्रसन्न हों , कष्ट न होवें , जन- जन का कल्याण करें .
सबमें हो सहयोग परस्पर , श्रम- सुख का अभियान चले .

राहु रोगों से मुक्त करें , विकार रहित जीवन हो अपना .
जीवन में कोई शत्रु न हो , पद - मान मिले , पूरा हो सपना .

केतु की सब पर कृपा रहे , सब में धर्मों की वृद्धि हो .
 मोक्ष प्राप्त हो जीवन में ,सत्कर्मों  की  समृद्धि  हो .

ईश्वर दें सदबुद्धि , शांति , नव गृह दें , सुख - धन - समृद्धि 
सभी सुखी हों , सभी स्वस्थ हों , कुटुंब - चेतना में हो वृद्धि

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