शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

सरस्वती वंदना


              सरस्वती वंदना 
मात सरस्वती पावन वर दो , हम अच्छे इंसान बनें ,
सत्य अहिंसा, प्रेम मार्ग पर , तत्पर हों , बलवान बनें .
ज्ञान बिना पशुवत जीवन है ,अपना भविष्य न जाने हैं ,
क्या है लक्ष्य , दिशा क्या होगी , रहस्य नहीं   पह्चानें हैं  .
वीणा वादिनी तान वह छेड़ो , जग का कण- कण झंकार करे ,
अविरल बहे ज्ञान की धारा, मन में फैला अंधकार हरे .
स्वच्छ , धवल हो ह्रदय हमारा , खिले कमल सी बुद्धि हमारी .
वीणा के स्वर मन में गूंजें , कला पूर्ण हो  सोच हमारी .
विद्या  के अंकुर मन में फूटें , देश में ज्ञान - विज्ञान बढ़े  .
प्रकृति को हम देवी समझें , विकास करें , आनन्द  बढे .
विज्ञान रहस्य समझाओ माता , बुद्धि विवेक के द्वार खुलें 
मानवता धरती पर उतरे , जन कल्याण के दीप जलें .
सरस्वती माता दया करो , जिव्हा अमृत स्पर्श करे .
पावन मधुर वचन हम बोलें ,लेखन दिल में उत्साह भरे .
ज्ञान देवि  , अंतर्मन खोलो , शब्द - शब्द का भाव बताओ . 
 जीवन अमर बनाएं कैसे , माँ ! हमको वह राह दिखाओ .

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