बुधवार, 18 अप्रैल 2012

सोने की लूट

                                                                     सोने की लूट 

जॉन  सूटर का जन्म १८०३ में जर्मनी में हुआ था .उसका बचपन स्विटज़र लैंड  में बीता .वह बड़ा हुआ तो उसका स्वभाव विनम्र था . उसे व्यवसाय में बहुत रूचि थी .परन्तु लेन - देन में वह कुशल नहीं था इसलिए स्विटज़र लैंड में उसका व्यवसाय असफल हो गया और वह भारी कर्जे में डूब गया .उसे जिससे धन लेना होता , वे उसे लौटाते नहीं थे परन्तु जिनको उससे धन लेना था , उन्होंने उस  पर  धन  वसूली  के  लिए  मुकदमें   कर  दिये  . सूटर के पास धन तो था नहीं , उसे लम्बी जेल होने की सम्भावना पैदा हो गई थी . अवसर पाकर वह अमरीका भाग गया और वहां कैप्टन सूटर के नाम से रहने लगा .वह कैलीफोर्निया में बसना चाहता था जो उन दिनों मक्सिको के अधीन  था . इलिनॉय , न्यू मक्सिको , ओरेगन , हवाई और अलास्का होता हुआ वह अंत में कैलीफोर्निया के यर्बा  बुएना नामक स्थान में रहने लगा जो आज सनफ्रांसिस्को के नाम से प्रसिद्द है . 
           उन दिनों यूरोप से आने वाले लोग अमरीका के तटीय क्षेत्रों में बसते जा रहे थे क्योंकि वहां बंदरगाह होने के कारण व्यवसाय और नौकरी के अधिक अवसर होते थे .. सूटर को सामान्य व्यक्ति के समान जीना पसंद नहीं था . उसने सोचा कि यदि अंदरूनी क्षेत्र में जा कर रहा जाय तो वह बहुत बड़ी जागीर का स्वामी बन जायगा और एक राजा के समान सुखी जिंदगी जी सकेगा .बातचीत में तो वह निपुण था ही , उसने कैलीफोर्निया के गवर्नर से अच्छे सम्बन्ध बना लिए . उसने गवर्नर को समझाया कि वह वहां रहने वाले इंडियंस को वह सभ्य  बनाएगा , उन्हें प्रशिक्षण देगा जिससे इस क्षेत्र का विकास होगा .गवर्नर को उसकी योजना बहुत अच्च्छी लगी और उन्होंने उसे अमेरिकन नदी के उत्तर में  जितनी चाहे भूमि लेने के लिए अनुमति दे दी .प्रारंभ में उसके स्थानीय लोगों से छिटपुट संघर्ष  भी हुए  , परन्तु अपने अच्छे व्यवहार से उसने उन लोगों का विश्वास जीत लिया और वे मित्रवत व्यवहार करने लगे .उनकी सहायता से उसने सूटर फोर्ट बना लिया .सब कुछ सूटर कि योजना के अनुसार ठीक चल रहा था .उसका इंजीनियर जब वाटर मिल बनवा रहा था .उसने नदी के पानी में चमकदार धातु के कण देखे .यह २४ जनवरी १८४८ कि घटना है  और इसी दिन से  कैलीफोर्निया  में सोने की लूट प्रारंभ हो गई . उसने जॉन सूटर को सोने की जानकारी दी परन्तु वह चाहता था कि यह बात और लोगों को पता नहीं चलनी चाहिए .अन्यथा लोग सोना लूटने के लिए वहां पर टूट पड़ेंगे और सूटर की  विशाल कृषि भूमि नष्ट हो जायगी .
     हवाओं के भी कान होता हैं .शीघ्र ही यह समाचार जंगल में आग कि तरह पूरे सन फ्रांसिस्को में फ़ैल गया . लोगों में तरह -तरह की बातें होने लगीं .अधिकतर लोगों ने इसे गप्प समझा . सैमुएल  बन्नान ने वहां जाकर देखा तो वहां वास्तव में सोने के कण थे . परन्तु अपने लिए सोना खोदने के स्था पर वह शहर गया और वहां पर सभी दुकानों पर उपलब्ध सारे गैती , फावड़े , बेलचे १५ सेंट के भाव से खरीद लाया . उसने वहां थोड़ा सोना प्राप्त किया और उसे एक कांच की बोतल में में रख कर उसे दिखाते हुए 'सोना -- सोना  , अमेरिकन नदी में सोना ' चिल्लाते हुए शहर कि सड़क पर दौड़ने  लगा . उसे देखकर लोग पागल से हो गए और सब अमेरिकन नदी की ओर दौड़ने लगे . जो भी वहां पहुचता सोना देखता परन्तु सोना खोदने के लिए न तो किसी के पास कोई समान था न ही बाजार में कोई समान उपलब्ध था .. सैमुएल  ने अवसर का लाभ उठाकर सौ गुने अधिक मूल्य पर पंद्रह डालर में गैती , बेलचे , फावड़े बेचे और शीघ्र ही लाभ कमा लिया .धीरे - धीरे यह समाचार दुनिया में फ़ैल गया . १८४९ में तो दुनिया के कोने -कोने से लोग कैलीफोर्निया की ओर दौड़ने लगे वहां सोना खोदने या अन्य व्यवसाय करने तीन लाख से अधिक लोग  पहुँच चुके  थे .१८४६ में सनफ्रांसिस्को में केवल २०० लोग रहते थे , १८५२ में  वह ३६००० लोगों का बड़ा शहर बन गया था . सोने की लूट प्रारंभ होने से पूर्व ही अमरीका ने मैक्सिको  से  कैलीफोर्निया समेत अन्य राज्य भी छीन लिए थे .परन्तु उस समय  कैलीफोर्निया  पहुंचना भी आसान नहीं था . आधे लोग तो जलयान से दक्षिणी अमरीका का पूरा चक्कर काटकर आते  थे . जिसमें से अनेक लोग सोना रटते  -रटते  रास्ते में ही मर जाते थे .उस समय तक पनामा नहर बाणी नहीं थी . अनेक लोग पहले पनामा आते फिर जंगल - पहाड़ों को पार करके जलयान पकड़ने के लिए महा द्वीप के दूसरी ओर जाते . अनेक लोगों क ओ रास्ते में बीमारियाँ हो जातीं और वे मर जाते . अनेक लोग अमरीका के पूर्वी तट तक तो पहुँच जाते फिर पश्चिम तट के लिए जंगल , पहाड़ों , मरुस्थलों से होकर जाना पड़ता जिसमे छः महीने का समय लगता था . लोग ओहिओ पहुँचते तो जैसे ही नदी का पानी पिघलने लगता वे तेजी से चल पढते क्योंकि उन्हें अक्टूबर तक उस पार पहुंचना होता था अन्यथा रास्ते सियरा - नेवाडा में बर्फ गिरने के पहले ही वे वहां पहुँच जाएँ . गर्मियों में जब वे मरूस्थ से गुजरते वहां का ताप पचास डिग्री सेल्शियस से भी अधिक हो जाता था .सिर्फ वहां पहुँचने की समस्या ही नहीं थी . जलयान लेकर जाने वाले कैप्टन अलग से परेशान थे .जो व्यक्ति सन फ्रांसिस्को  में जहाज से उतर कर सोना ढूढने  चला जाता , वह वापिस ही नहीं आता था . खाली जहाज वापिस कैसे ले जाएँ ? इससे सन फ्रांसिस्को कि खाड़ी में जहाज़ों की भीड़ लग गई .
        वहां बहुत से लोग तो पहुँचते जा रहे थे , परन्तु उनके लिए रहने और खाने कि सुविधाएं नहीं थीं . व्यवसायी होटल और भवन तो बनाना चाहते थे परन्तु उसके लिए वहां सामग्री नहीं मिल  रही थी . जहाज वापिस जाएँ तो भवन निर्माण की सामग्री लेकर आयें . परन्तु मकानों की आवश्यकता तो दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जारही थी .लोगों को सोने और रहने के लिए जगह तो चाहिए ही थी . अतः उन्होंने लकड़ी और लोहे के मकान बनाने शुरू कर दिए . लोगों का खड़े हुए जहाज़ों पर भी गुस्सा फूट पड़ा और जरूरत होते ही वे जहाज को तोड़ कर लकड़ी लोहा निकलने लगे तथा उनसे मकान बनाने लगे . सारे लोग तो सोना लूटने चले जाते थे . पीछे खड़े लावारिस जहाजों को कौन देखता ? जहाज़ों का फालतू भाग वहीँ पानी में फेंकते जाते , जब वह भर जाता लोग जमीं पर कब्ज़ा कर लेते .
लोगों ने अनेक नदियाँ और पहाड़ खोद डाले और टनों सोना निकाल लिया .शुर में तो गैती बेलचे से सोना निकाल अत था परन्तु १८५० तक अधिकांश सोना लूट लिया गया था .उसके बाद जिन व्यवसायिओं के पास बड़ी  मशीने थीं वे ही सोना खोद पाते  थे . परन्तु दुनिया भर में इसकी धूम मची हुई थी अतः लोग अपनी किस्मत आजमाने बाद में भी धक्के खा- खा कर आते रहे . वे यात्रा में और वहन पहुच कर रहने खाने में सारा धन खर्च देते . खाली हो जाते तो वापिस जाने के लिए भी धन नहीं होता था . अतः वहीँ बसने के अतिरिक्त उनके पास दूसरा रास्ता न होता . स्वाभाविक था कि पूरे कैलीफोर्निया राज्य कि आबादी तेजी से बढ़ती गई . इतने कम समय में पुलिस , क़ानून , न्यायालय आदि कि व्यवस्था करना भी संभव नहीं था . इसलिए लोग सोने के लिए एक -दूसरे को मारने लगे .पूरे राज्य में अराजकता बढ़ गई .. यूरोप से जो गोरे लोग वहन आए थे सोना खोदने के लिए उन्होंने मूल रेड इंडियंस  की जमीनों पर कब्ज़ा कर लिया था , उनके खाद्य स्रोतों को नष्ट कर दिया था . इसमें उनसे संघर्ष होना स्वाभाविक था जिसमें अनेक इंडियंस बेरहमी से मार डाले गए .. आने वाले अनेक लोग अपने साथ चेचक , जैसी महामारियां भी लाये जिससे अनेक लोग मर गए . 
 अनेक व्यवसायी स्वयम तो सोना नहीं खोदते थे परन्तु सोना खोदने वालों के लिए होटल, रेस्तरां खोलने , खुदाई के उपकरण बेचने का काम करते थे . ये व्यवसाय बहुत लाभदायक सिद्ध हुए .इनसे आकर्षित होकर जर्मनी का एक दरजी भी वहां पहुंचा .वह अपने साथ ढेर सारा कैनवास ले गया और टेंट बनाकर बेचने लगा . परन्तु उसके टेंट नहीं बीके . अब कैनवास का क्या करे ?वह  बचे हुए कैनवास कि पेंटें सिलकर बेचने लगा दूसरी पेंटों से मजबूत होने के कारण उसकी पेंटें खूब चलीं .पेंट बनाने में उसने धागे के स्थान पर रिबत लगेये जिससे वे और मजबूत हो गईं वही जीन कि पेंटें  लिवाइस स्ट्रास ब्रांड नाम से आज भी  विश्वप्रसिद्ध हैं .
      लोगों ने सोना लूटा और वहीँ बस गए .कैलीफोर्निया अमीरों का राज्य बन गया था ,इतने अमीर कि उस समय करेंसी नोट के स्थान पर सोने के सिक्के चलने लगे  थे .
    बेचारा सूटर इस बात के लिए दावा  करता रहा कि सारी जमीन  उसकी है . इसलिए खोदा गया सारा सोना उसे दो . परन्तु उसकी सुनने वाला कोई न था . वह तो राजा के समान रहता था . दूसरों से काम करवाता था . उसने सोना खोदने के लिए अपने श्रमिक भी भेजे . सोना खोदकर वे अपने पास रख लेते . सूटर का सोना दूसरे लोग ले गए . उसने भी धन कमाने के लिए कर्जा लेकर होटल और रेस्तरां खोले , कारोबार भी अच्छा हुआ , परन्तु लोग खा पीकर सोना खोदते और चले जाते , उसे कोई पैसे ही नहीं देता .लेन-देन करना उसे आता नहीं था , सोने की खदान में खड़ा होकर भी वह पुनः कर्जे में डूब गया .इससे वह पूरी तरह टूट गया . बाद  में   सारी  व्यवस्था  उसके  लड़के  ने  अपने  हाथ  में  ले  ली . वह युवा होने के साथ कुशल प्रबंधक भी था .उसने अपने व्यवसाय और जागीर से तो लाभ कमाया ही , उस पर एक व्यवस्थित शहर का निर्माण भी किया जो आज  कैलीफोर्निया की  राजधानी सेकरीमेन्टो के नाम से विख्यात है .          हिमांशु खत्री , वरिष्ठ इन्गीनियर , क्वाल्काम , सैन डिएगो , यू.एस.       

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