सोमवार, 18 मार्च 2013

शैतान दिमाग


शैतान दिमाग
बड़ी ख़ुशी से ले ली हमने ,
सुन्दर सी इक कार .
पंजीयन उसका करती है ,
मध्य प्रदेश सरकार  .
हजारों रुपये शुल्क के लेते,
 पंजीयन  में नखरे करते  .
एक माह नंबर नहीं देते ,
नंबर देते रसीद रख लेते .
रसीद मिलीतोपंक्ति लगाओ
प्लेट लगाने परेशां करते ,
आफिस केबाहरजामलगाते
ट्रैफिकपुलिसको नहीं बुलाते.
ट्रक, ऑटो,कारें ले आओ
जैसे चाहो ,पार्क कराओ ,
आगे – पीछे नंबर बंटवाओ
  
खिड़कीपर सबको उलझाओ.
गरीबों को तो अनेक सताते
कारोंवालों को क्लर्क नचाते,
जनकष्टों के किस्से सुनकर
मंत्री-अफसर बहुतसुख पाते.  
यह है दलालों का शासन या शासन कि दलाली है ,
प्लेट लगाने की यह रीति
पूरी दुनियां में निराली है.
मित्र कंपनी को ठेका देकर
सबको लाइन में झोंक रहे ,
जल्दी काम कराना हो तो सरकारी दलाल हैं घूम रहे.
 निजी प्लेट पहले लगवाओ
फिर आरटीओकेचक्र लगाओ
 प्लेट बिना भारी जुर्माना
शिकंजे से मुश्किल बचपाना
पंजीयनकार्ड फिरभी नहींदेते
 उसके लिए सताते रहते .
आरटीओजाओ डाकघरजाओ
लौट-लौट के घर को आओ.
बिना कार्ड लेते जुर्माना
बचना हो तो घूंस खिलाना,
टैक्स लेकर भीपेट न भरता
शैतानदिमाग सदादुःख देता    
मंत्री जी पर जाऊं वारा 
दुखी करनेका ढंग है न्यारा
सत्ता पर जबतक है कब्जा
‘कष्ट बढाओ’,यही है नारा.
भागना चाहे ,भाग सके न
आफत में है अटकी जान   
गाड़ी का सुख लेना है तो
सर्वस्व उन्हें तू मान .

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