बुधवार, 26 दिसंबर 2012

सरकारी राजनीति , पुलिसिया राज , न्याय

          सरकारी राजनीति

कानून व्यवस्था है नहीं, अपराध होंय सरे आम।
तिकड़म उनका देखिये, जनता के  लगते नाम।।
जनता के लगते नाम, कि वे अपराध हैं करते।
उनके हिंसक कार्यों से, पुलिस जवान हैं मरते।।
राजनीति क्या होती है, भारत की सरकार दिखाए
पीड़ित-घायल जनता से भी लाभ कमाना चाहे।।    
              

         पुलिसिया राज

रामदेव हो बंद जेल में, उनको सबक सिखाएं।
पहले हमला किया रात में, अब  -डंडे चलवाएं।।
अब  डंडे चलवाएं, युवक - युवती को मारें।
करें जेल में बंद जैसे, कोई   अपराधी न्यारे।।
बोले  झूठ पे झूठ, उसे सच  कहते   जाएं ।
हुए नेता निर्लज्ज, पुलिसिया राज चलाएं।।

            न्याय 

युवकों में उत्साह था, अपराधी बच  न पायं।
शांतिपूर्ण एकत्र हो, नारे लगवाते जायं।।
नारे लगवाते जायं, दुष्टों  को सजा सुनाओ।
पीड़ित - घायल बाला  को,शीघ्र न्याय दिलाओ।।
न्याय के नाम जमा किया, हिंसा का व्यापार।
न्यायालय अभी भी मौन हैं,कौन है खेवनहार।।

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