शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

महिला अपराध रोकने के उपाय

                                           महिला अपराध रोकने के उपाय 

      महिलाओं से दुष्कर्म आदिकाल से होते आ रहे हैं . कुछ समय पूर्व तक महिलाएं इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखती थीं .अतः अधिकांश प्रकरणों में वे और उनके सम्बन्धी चुप रह जाते थे . विज्ञान की प्रगति एवं शिक्षा के प्रचार- प्रसार से महिलाओं के स्तर में बहुत उन्नति हुई है और अब दुष्कर्म को छुपाने की अपेक्षा अपराधी को सजा दिलाने के लिए वे आगे बढ़ी हैं . इस अपराध में सबसे कष्टप्रद स्थिति उस समय उत्पन्न होती है जब महिलाओं से कुरेद - कुरेद कर घटना के बारे में पूछा जाता है और अनेक वर्षों तक मुकदमें चलते रहते हैं तथा अपराधी अपराध करते जाते हैं .दिल्ली रेप केस में युवा पीढ़ी ने  जिस प्रकार अपना प्रबल रोष व्यक्त किया है, उससे भयभीत होकर सरकार ने अपना पिंड छुड़ाने के लिए आनन्- फानन में वर्मा आयोग का गठन कर दिया है .
          कायदा तो यह कहता है की पहले आयोग के सदस्य इस पर अपने विचार रखते . उन तथ्यों को सामने लाते जिनसे मुकदमों के निर्णय नहीं हो पाते हैं और अपने सुझाव भी देते . उस पर विस्तृत चर्चा होती , लोग अपने नए विचार भी रखते और एक संतोषप्रद कानून बनाया जाता . अब लोग क्या विचार देंगे किसी को पता भी नहीं चलेगा और पुरानी  परम्परा के अनुसार पुनः ऐसा क़ानून बन सकता है जिससे लाभ कम हानि अधिक हो . आज अनेक लोग रेप के लिए फांसी की मांग कर रहे हैं परन्तु इनसे सभी महिलाओं का कितना भला होगा कहना कठिन है जबकि उनका दुरुप करके काल गर्ल , और बाजारू औरतें कितनों को ब्लैक मेल कर देंगी कहना कठिन है जैसा दहेज़ कानूनों के द्वारा किया जा रहा है।
   भारतीय शिक्षा  से  नैतिकता पूरी तरह समाप्त कर दी गई है . अनैतिकता होगी तो सभी प्रकार के अपराध भी होंगे . अतः अब कठोर दंड व्यवस्था से दुष्टों को वैसे ही नियंत्रित करने का प्रयास किया जाय जैसे जानवरों को किया जाता है क्योंकि मनुष्य में से नैतिकता निकाल दें तो पीछे जानवर ही बचता है .भारत के गृहमंत्री शिंदे जी ने इसे रेयर अमंग रेयरेस्ट कह कर शीघ्र सुनवाई की बात की  है .  रेयर अमंग रेयरेस्ट की परिभाषा कौन तय करेगा ? कानून स्पष्ट सिद्धान्तों के आधार पर बनाए जाने चाहिए ताकि निर्णय देने में दुविधा न हो . रेप के इन प्रकरणों में यथा शीघ्र फांसी की सजा होनी चाहिए :
(1)10 वर्ष से छोटे बच्चे का , निकट सम्बन्धी द्वारा अवयस्क का  रेप, असहाय, लाचार, घायल , मानसिक रूप से विकृत लोगों का रेप तथा रेप के बाद हत्या करने वाले अपराधी . 
 (2)  इन प्रकरणों में आजीवन कारावास होना चाहिए :डरा- धमकाकर अवयस्क का रेप, शिक्षक या अभिभावक  द्वारा रेप ( यदि सहमति  से किया गया हो तो 7 से 10 वर्ष की कैद ), सामूहिक बलात्कार ( सभी को सजा हो ), कंडिका (1) में वर्णित रेप के प्रयास .
(3)अन्य  प्रकरणों में 7 वर्ष .अपराधी यदि अवयस्क हों तो जज उनके हाव-भाव और चाल- चलन के आधार पर समुचित निर्णय लें। 
   इन अपराधियों की संपत्ति अथवा इनके हिस्से की संपत्ति भी कुर्क करके  पीड़ित को मानहानि  की क्षतिपूर्ति के रूप में दी  जानी  चाहिए . यदि कुर्क करने से प्राप्त राशि अधिक हो तो उसका पर्याप्त भाग राजसात करना चाहिए . 
    एक सामान्य सिद्धांत यह होना चाहिए कि रेप के साथ और कौन सा अपराध किया गया है।  दंड संहिता में उस अपराध की जो सजा निर्धारित हो , रेप की सजा में उसे जोड़कर कुल सजा दी जानी  चाहिए। प्रत्येक सजा के साथ भारी अर्थ दंड अवश्य लगाना  चाहिए .जैसे दिल्ली रेप कांड  में  युवती को क्रूरता से घायल किया, राक्षसी प्रवृत्ति से रेप किया और राजधानी की सड़कों पर देश की क़ानून व्यवस्था को चुनौती देते हुए किया की जिससे जो बने कर ले . उनकी तो पूरी संपत्ति राजसात करके फांसी ही होनी चाहिए . 
 अब काला पानी तथा कोल्हू चलाने जैसी सजाएं तो होती नहीं हैं . किसी भी प्रकार के कठोर अपराध करने वाले लोग यदि प्रायश्चित  करते हैं , अपना अपराध स्वीकार कर लेते हैं , तो उन्हें सेना की  देख-रेख में सीमान्त या वन क्षेत्रों में चलने वाले निर्माण कार्यों में मजदूर के रूप में भेज देना चाहिए . मजदूरी का एक भाग उनके भोजन पर तथा शेष उनके खाते में जमा कर  देना चाहिए .
 यदि कानून का यह सिद्धांत रहेगा की 99 अपराधी भले ही छूट  जाएँ , एक निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए और 99 अभियुक्त छूटते रहेंगे तो वर्तमान के अनुसार अपराध तो होंगे और बढ़ते भी  जायेंगे परन्तु अपराधी नहीं मिलेंगे।न्याय में करुणा दिखाने पर  अन्याय और अपराध शेष रहता है . 
           भोपाल में एक बहुचर्चित रेप प्रकरण दर्ज हुआ था जिसमें एक निर्दोष व्यक्ति को अनेक दिन जेल में रख कर प्रताड़ित किया गया . बाद में ज्ञात हुआ की रेप की पूरी कहानी एक षड्यंत्र थी जिसमें गुजरात के एक व्यापारी ने किसी को फंसाने के लिए 20 हजार रूपये किराये में एक लड़की भेजी थी . ऐसे प्रकरणों में अन्य अपराधियों के पूर्व ऐसी लड़की को कठोर अर्थ दंड के साथ सश्रम जेल की सजा देनी चाहिए . रायपुर मेंछापे में एक लड़की  कई लड़कों के साथ पकड़ी गई . वह कहती है कि वह बेचारी गरीब है , मुंबई से 10 दिनों के लिए 50हजार रूपये में सेक्स करने आई है . उच्चतम न्यायालय  भी यह कह चूका है कि जो स्वेच्छा से सेक्स का आनद ले रही है उनके निपटारा किन कानूनों से किया जाय . जब सरकारी स्तर  पर सेक्स को बढ़ावा दिया जा रहा है , राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष गर्व से कहती हैं कि सेक्सी कही जाने पर महिलाएं खुश हों , युवा लड़कियों को बार में जाने को पूरा संरक्षण दिया जा रहा है तो सेक्स कार्यों के लाइसेंस देने में शर्म क्यों आ रही है . इससे जहां एक ओर मनचलों का ध्यान सामान्य लड़कियों से हट जायगा , राष्ट्र की आय भी बढ़ जायेगी जिसकी  सरकार को भारी आवश्यकता है। नैतिकता के अभाव में महिला अत्याचार रोकने का यह मार्ग भी हो सकता है .
 डा . ए . डी .खत्री , भोपाल  










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