हम महान हैं
हम आदिकाल से महान रहे हैं ,आज भी हैं , कल भी रहेंगे . राष्ट्र , राज्य , शहर ,कहीं से भी टटोलें , कण- कण में महानता के दर्शन होते हैं .
पहले राष्ट्रीय स्तर पर महानता का वर्णन किया जाय . अपने देश में एक प्रधान मंत्री मिस्टर क्लीन नाम के हुए हैं . राजीव गाँधी का नाम बोफोर्स कांड में घसीटा गया तो वे अपने प्रिय मित्र अमिताभ बच्चन को पीछे नहीं छोड़ पाए . मित्र वही जो सुख में साथ रहे तो दुःख में भी रहे और न रहना चाहे तो जबरन रखना चाहिए . सो सी बी आई से कहकर उनका नाम भी जुड़वा दिया . अमिताभ बच्चन धन कमाने के लिए किसी भी चीज का विज्ञापन कर सकता है पर कमाता तो मेहनत से है , चाहे फिल्म हो या विज्ञापन . इसलिए जब उसके विरुद्ध घूंस खोरी सिद्ध नहीं हो पाएगी तो राजीव गाँधी भी बच निकलेंगे . वैसे राजीव गाँधी ने अपनी ईमानदारी का प्रमाण जनता को देने कि कोशिश की थी जब उन्होंने यह कहकर कि सरकार द्वारा लोगों के लिए दिए हुए एक रुपये में से जनता तक सिर्फ १५ पैसे ही पहुँच पाते हैं ,अपनी सरकार में घुसे डकैतों की तारीफ की थी . अब जब यह साफ़ हो गया कि अमिताभ बच्चन का नाम उसमें जबरदस्ती जुड़वाया गया था, राजीव ने स्वयं घूंस नहीं खाई थी सिर्फ घून्सखोरों को बचाया था तो यह उनकी मजबूरी रही होगी क्योंकि ' सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ ' सचमुच राजीव गाँधी महान थे.
भाजपाइयों ने गुजरात की ८३ वर्षीय दबंग राज्यपाल कमला बेनीवाल के सम्बन्ध में एक शगूफा छेड़ा कि वे १००० करोड़ रुपये के जमीन स्कैंडल की अहम् किरदार हैं और उन्होंने जयपुर विकास प्राधिकरण से एक बेश कीमती भूभाग प्राप्त किया है और उसपर शानदार बंगला भी बनवा लिया है . कहते है कि जयपुर में एक सहकारी समिति १९५३ में बनाई गई थी . शासन से जमीन लेकर सबने मिलजुल कर खेती की. कमला बेनीवाल १९७० में उसकी सदस्य बनीं परन्तु उनको भी १९५३ का सदस्य ही माना जाता है कमला बेनीवाल अनेक वर्षों तक राजस्थान सरकार की मंत्री रहीं . खेती करने में कमला बेनीवाल सहित समिति के सदस्यों ने बहुत परिश्रम किया . उन्होंने ४१००० दिनों तक (११२ वर्ष ४ माह ) तक प्रतिदिन १६ घंटे काम किया . बजाये उनकी प्रशंसा करने के उन पर राजनीतिक दोष मढ़ दिया . इतनी कड़ी मेहनत करके उन्होंने अगर एक प्लाट और मकान प्राप्त कर भी लिया तो कौन सा आसमान फटा जा रह है?क्या जमाना आ गया है लोग मेहनत कश इतने महान मजदूरों से तनिक भी सहानुभूति नहीं रखते हैं पर यह तो तय हो गया कि इस देश को महान लोग ही चला रहे हैं .
नगर के लोग भी कम नहीं हैं . सड़कों में गड्ढे खोदना नगर निगम और उनके मित्रों का सर्वाधिक प्रिय शगल है . भोपाल नगर निगम ने तो बाकायदा मीलों लम्बी सड़क वर्षों से खोद रखी थी ताकि लोग उनमें गिरें और मरें या कम से कम नर्सिंग होम में तो भरती हों .कलेक्टर कमिश्नर के कार्यालय के सामने तो उन्होंने परमानेंट गड्ढे खोद रखे थे ताकि कम से कम लोग उन्हें परेशान करने जा पाएं .नगर-निगम के नेता - अफसर कहीं से भारी कर्जा पा गए . मोटी सडक बनवा डाली ताकि एक ही सड़क को वर्षों तक खोदने का लाभ मिलेगा . जैसे ही चिकनी सड़क बनकर तैयार हुई निगम के खुदैये मय मशीनों के आ धमके और लगे खोदने जैसे किसी खदान को खोदने का अवैध पट्टा मिल गया हो .सबसे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री समेत बड़े अफसरों के फोन खोद डाले ताकि कोई उन्हें बता न सके . उनसे पूछो कि भाई इतनी अच्छी सड़क बनी है , क्यों खोद रहे हो तो उनका एक ही जवाब रहता है कि सड़क को जितनी बार खोदा जायगा उतनी बार मंत्री से लेकर मजदूरों तक, अनेक लोगों को रोजगार मिलता है . इससे देश कि बेरोजगारी कम होती है . अमरीका , यूरोप सब बेरोजगारी से परेशान हैं . हम रोजगार दे रहे हैं . हम महान हैं .
जनता धन की लूट है , जमकर उसको लूट
यदि जनता जाग गई , तो कुर्सी जाएगी छूट
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