बुधवार, 7 सितंबर 2011

इ -पत्रिका 'हस्तक्षेप' के संपादक का अन्ना को सांप्रदायिक मानना

प्रिय अमलेंदु जी,
अन्ना हजारे पर आपके विचार समझे . आपके अनुसार कांग्रेस को भ्रष्टाचार का पूरा अधिकार है क्योंकि उसे आप जैसे लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त है . आर.एस.एस. सांप्रदायिक है , उसे तो मुंह खोलने का अधिकार भी नहीं है , कांग्रेस का भ्रष्टाचार रोकने वाले वे कौन होते हैं ? जो भी कांग्रेस के भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास करेगा उसे साम्प्रदायिक कहा जायेगा . काश ! आपने अन्ना हजारे को यह बात पहले समझा दी होती तो वे सांप्रदायिक होने से बच जाते . अब तो आपने उन्हें सांप्रदायिक होने का प्रमाण पत्र दे ही दिया है , वे पीछे हटेंगे तो भी आप और आप जैसे भ्रष्टाचार समर्थ कांग्रेसी उनके पीछे पड़े ही रहेंगे . आपने तो अन्ना जी के सामने कोई विकल्प ही नहीं छोड़ा .अच्छा होगा आप दिल्ली में एक तम्बू लगाकर भ्रष्टाचार के समर्थन में खा-पीकर आन्दोलन करें . आपकी महफ़िल में में इतने सारे भ्रष्टाचारी ,अपने दल-बल और धन दौलत के साथ आ जायेंगे की लोग अन्ना का नाम ही भूल जायेंगे .

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