लिव इन सम्बन्ध : दोषी कौन ?
भोपाल के अमित गुप्ता - अंजली गुप्ता प्रकरण को अत्यंत गंभीरता से लेना चाहिए . भविष्य में इस प्रकार के अन्य प्रकरण न हों ,इसके लिए न्यायालय को बहुत सोच समझ कर निर्णय देना होगा . अमित गुप्ता वायु सेना में ग्रुप कैप्टन है और विवाहित है . अंजली गुप्ता पहले फ्लाईट लेफ्टिनेंट थी और दोनों एक साथ पदस्थ थे . दोनों में लिव इन सम्बन्ध थे . अंजली गुप्ता ने अपने सेवा काल में अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर सेक्स शोषण के आरोप लगाए थे . उसका कोर्ट मार्शल हुआ और उसकी सेवा समाप्त कर दी गयी . परन्तु उसके अमित गुप्ता से सम्बन्ध बने रहे . अमित गुप्ता भोपाल निवासी है , उसके लड़के की सगाई थी . इसी समय अंजली भोपाल उसके पास आई . अमित ने उसे पृथक मकान में रुकवा दिया और स्वयं बेटे की सगाई में बाहर चला गया . पीछे अंजली ने फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली . अमित को अंजली को आत्म हत्या के लिए उकसाने के आरोप में जेल में बंद कर दिया गया है . अंजली के घर वालों का आरोप है कि अमित ने अपनी पत्नी से तलाक लेकर उससे शादी का वायदा किया था और धोखा दिया जिससे दुखी होकर अंजली ने आत्म हत्या कर ली .
अंजली के घर वालों ने यह रहस्योद्घाटन भी किया है कि अमित के कहने से अंजली ने वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध आरोप लगाये थे . यदि आरोप झूठे थे तो सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का यह कृत्य अत्यंत आपत्तिजनक एवं निंदनीय है . यदि आरोप सही थे और अमित के कहने पर लगाये गाये थे ,अपनी इच्छा से नहीं तो इसका अर्थ हुआ अंजली को संबंधों में कोई आपत्ति नहीं थी और उसने अमित को खुश करने के लिए ऐसा किया . कुछ भी हो अंजली ने एक बड़ा अपराध किया था जिससे उसकी नौकरी चली गई . जहाँ तक अमित - अंजली के विवाह का प्रश्न है तो अमित विवाहित है , हिन्दू है . हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार न तो वह दूसरी शादी कर सकता है और न आसानी से उसे तलाक मिल सकता है . क्या अंजली के घर के लोग यह नहीं जानते ? स्त्री हो या पुरुष , किसी के परिवार को तोड़ना , पति को पत्नी के विरुद्ध भड़काना एक गंभीर अपराध है क्योंकि इससे व्यक्ति पत्नी से छुटकारा पाने के लिए उसे मारने -पीटने से लेकर उसकी हत्या तक कर सकता है अथवा धर्म बदल कर पारिवारिक कलह उत्पन्न कर सकता है जैसा हरयाणा के पूर्व उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने किया था . क्या हमारा कानून इसकी इजाजत देता है ?अंजली- अमित वयस्क होने के कारण लिव इन संबंधों के लिए स्वेच्छा से तैयार थे . अतः विवाह का वायदा होना या न होना क्या अर्थ रखता है ?
संसद और न्यायालय लिव इन संबंधों के लिए स्पष्ट कानून बनायें . यदि यह स्वच्छंदता और मस्ती है तो इसमें दोनों समान भागीदार हैं . कोई लेनदार - देनदार नहीं है . यदि यह विवाह के तुल्य मान्य है तो हिन्दू क़ानून में विवाहित स्त्री- पुरुष के सम्बन्ध में इसे किस रूप में लागू किया जायगा -- स्त्री या पुरुष को एक से अधिक विवाह करने की सुविधा होगी या प्रेमी- प्रेमिका से विवाह केलिए उसे तत्काल तलाक मिल जायगा या दोनों को अवैध सम्बन्ध बनाने का दोषी मानकर दण्डित किया जायगा ? यदि लम्बे समय तक कोई बिना विवाह के रहता है तो संतान का भार किस पर होगा ,
एक का निधन होने पर उसकी संपत्ति का हक़दार उसका लिव इन साथी होगा या स्त्री- पुरुष के परिवार के लोग होंगे ? यदि लिव इन वाले स्त्री-पुरुष अन्यत्र सम्बन्ध बनाते हैं तो उन्हें पूरी छूट होगी अथवा उन्हें कोई सजा मिलेगी ?
दूसरा यह प्रश्न भी महत्त्व पूर्ण है कि यदि सेना में स्त्री अपने देश के सैनिकों के मध्य असुरक्षित है तो विदेशियों के हाथ पड़ने कि स्थिति में उसकी क्या दशा होगी ? इसलिए स्त्रियाँ किस सीमा तक और किन कार्यों के लिए सेना में भरती हों ,इसपर भी समुचित विचार- विमर्श होना चाहिए . प्रत्येक मामले में स्त्री -अधिकारों कि बात करना ही पर्याप्त नहीं है .
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