शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

चुनाव सुधार :(२) सीमाएं

                                             चुनाव सुधार :(२) सीमाएं
चुने जाने वाले प्रतिनिधियों एवं चुने गए जन प्रतिनिधियों  के व्यवहार की कुछ सीमाएं भी निश्चित होनी चाहिए –
१.     स्थानीय निकायों से लेकर संसद तक किसी भी व्यक्ति  के राजनीतिक जीवन की अधिकतम सीमा ४० वर्ष तक तथा चुनाव लड़ने की सीमा ७० वर्ष होनी चाहिए . इससे ७५ वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति राजनीति से अवकाश प्राप्त कर लेंगे और युवा पीढ़ी को  अवसर प्राप्त होंगे . वे सलाहकार हो सकते हैं .
२.     प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सदन का अध्यक्ष, महापौर एवं किसी एक सदन में मंत्री की अधिकतम अवधि १० वर्ष या दो चुनाव काल तक होनी चाहिए .
३.     किसी राजनीतिक दल में जिला, राज्य एवं राष्ट्र के स्तर पर अध्यक्ष, मंत्री एवं कोषाध्यक्ष के पद पर भी एक व्यक्ति का कार्य काल अधिकतम १० वर्ष होना चाहिए .
४.     हाई कमान नहीं , पार्टी के संविधान के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने दल में विभिन्न पदों पर चुनाव लड़ने का अधिकार होना चाहिए . केवल जिला कार्यकारिणी सदस्यों तक वरिष्ठ नेताओं द्वारा मनोनयन भी हो सकता है .
५.     राजनीतिक दलों के आय-व्यय में पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए . कितना चंदा किस स्रोत से प्राप्त किया और कहाँ पर कितना व्यय किया . यदि दल इसका लेखा-जोखा नहीं देते हैं तो यह मान लेना चाहिए कि वह धन या तो भ्रष्टाचार से अर्जित किया गया है , प्रतिबंधित व्यवसायों से आया है या हवाला द्वारा विदेशों से आया है . आयकर विभाग को उनके विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए तथा ऐसे व्यय करने वाले नेताओं को चुनाव से बाहर किया जाना चाहिए .
६.     सभी राजनीतिक दलों को अपना घोषणापत्र चुनाव की घोषणा के ७ दिनों के अन्दर जारी कर देना चाहिए . विलम्ब करने वालों को पार्टी चुनाव चिन्ह नहीं देना चाहिए .
७.     मतदाताओं को लुभाने वाली घोषणाओं के साथ उन्हें सरकार की आय के स्रोत भी बताने होंगे . जनता धन लुटाकर वोट बटोरने की छूट नहीं दी जानी चाहिए . इससे विकास के लिए धन नहीं बाख पाता है .
८.     धर्मिक उन्माद एवं हिंसा फ़ैलाने वाले वक्तव्यों के लिए सज़ा के प्रावधान हों . वह उम्मीदवार हो तो उसे चुनाव से बाहर कर दिया जाय . ऐसे वक्तव्य मीडिया में प्रतिबंधित होने चाहिए . धर्म, जाति, वर्ग आदि के नाम पर या धन- वस्तुएं  बांटकर  वोट मांगने वालों को भी तत्काल जेल में बंद कर देना चाहिए तथा चुनाव से बाहर कर देना चाहिए .
९.     प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री आदि सभी पदाधिकारी चुनाव प्रचार के समय विधिवत अवकाश पर रहने चाहिए तथा उनके अवकाश की एक सीमा निश्चित होनी चाहिए जैसे शासकीय कर्मचारियों के लिए होती है . उससे अधिक अवकाश  होने पर उनके भी वेतन में कटौती की जानी चाहिए तथा समस्त यात्रा व्यय उनके चुनाव व्यय में जोड़ना चाहिए .
१०.                        वर्तमान में चुनाव आयोग द्वारा लागू सीमाएं एवं प्रतिबन्ध उचित हैं . चुनाव आयोग को अधिक अधिकार देने चाहिए ताकि वह तत्काल कार्यवाही कर सके तथा प्रकरण न्यायलय में जाने पर उसकी सुनवाई निरंतर की जानी चाहिए जिसमें तथ्यों के साथ अच्छी व्यवस्था बनाए रखने का उद्देश्य भी न्यायलय को अपने सामने रख कर निर्णय देना चाहिए .
  उक्त व्यवस्थाएं करने पर सामंतों की तानाशाही समाप्त होगी, युवाओं और धरातली कार्यकर्ताओं को अवसर मिलेंगे जिससे लोग देश के प्रति जागरूक होंगे, भ्रष्टाचार कम होता जायगा और प्रगति होगी .

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