वर्षा रानी
काले काले बदल आये
अपने साथ हैं जल को लाये
धरती प्यासी , लोग हैं प्यासे
कब से बैठे आस लगाये .
बदरा बरसो रिमझिम - रिमझिम
किसान की चिंता दूर करो
बोएं बीज खेत लहलहाएं
और अधिक न देर करो तुम .
वर्षा रानी तुम हो देवी
हम गरीब विनती हैं करते
अपनी दया हम पर भी कर दो
कब से हम हैं तिथियाँ गिनते
इक-इक पल है भारी लगता
बादल खाली घूम रहे हैं
कौन सी हमसे भूल हुई है
जिसकी सजा सब भुगत रहे हैं
हम नादाँ हैं बालक तेरे
हम को और न अब तरसाओ
भूल चूक को माफ़ भी कर दो
धरती पर अमृत बरसाओ
मुहब्बत
हम तुमसे मुहब्बत करते हैं
इसलिए तो तुम पर मरते हैं
मेरे ख्यालों में आती हो
हम जागते हैं या सोते हैं
तुम मुझसे नफरत करती हो
मेरी सूरत से चिढ़ती हो
ऐसी क्या मुझसे ख़ता हुई
इतना तो बता तुम सकती हो .
न तुमसे हम कोई प्रेम करें ,
न तुम भी नफरत किया करो
सिर्फ एक उपाय ही है इसका
ख्यालों में आना बंद करो .
मैंने चाहा तुमको भूलूं
और ईश्वर का भजन करूँ
पर बीच में तुम आ जाती हो
तुम्हीं बतलाओ क्या करूँ .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें