क्या लोकपाल का जन्म हो जायगा !उसको जन्म देने वाले सांसद पहले ही भ्रूण हत्या कर देंगे और अभी जो कूद- कूद कर उनका समर्थन कर रहें हैं सबसे पहले इसके विरोध में खड़े हो जायेंगे .
बाबा रामदेव काले धन , विदेशों में जमा अवैध धन और भ्रष्टाचार के लिए आमरण अनशन पर हैं . जो कानून बनाने वाले हैं और जो बनवाने वाले हैं , उन्ही का पैसा विदेशों में जमा है . वे उसे राष्ट्रीय संपत्ति मानते , तो धन विदेशों में ही क्यों ले जाते ? पता नहीं किस -किस के हिस्से का धन बड़ी मेहनत से लूट कर उन्होंने अकूत संपत्ति बनाई होगी . वे कानून बना कर या बनने दे कर कंगाल होना चाहेंगे या फांसी पर लटकना चाहेंगे ? समाज में खोमचे वालों तथा परचून वालों से लेकर महान व्यवसायी, उद्योगपति तक नंबर दो का पैसा कमाने और उसे सहेज कर रखने में व्यस्त हैं . इसलिए ऐसी मांग रखना जो कभी पूरी ही न हो सके और उसके लिए आमरण अनशन करना सर्वथा आधारहीन एवं अनुचित है . जैसे किसी डाकू से सामना हो जाये , वह हमला कर देता है, किसी चोर को भागने का मौका न दें तो वह हमला कर देता है , किसी गुंडे- लुटेरे को लूटने से मना करें तो वह हमला कर देता है , किसी डान के क्षेत्र में कोई दूसरा वसूली करने लगे तो वह जान लेवा हो जाता है , वैसे ही बाबा के तम्बू में आधी रात में सोते हुए लोगों पर पुलिसिया लूट संपन्न हुई . बाबा को इसे भली भांति समझना चाहिए और ऐसी मांग नहीं करनी चाहिए जो संभव न हो या उन लोगों से नहीं करनी चाहिए जो इसके लिए सक्षम न हों . बाबा जी के विचार उत्तम हैं , राष्ट्र हित के प्रयास भी प्रशंसनीय हैं , परन्तु उनके क्रियान्वयन का ढंग सही नहीं है . मेरी बात समक्ष रख कर बाबा जी और अन्ना हजारे लोगों से पूँछें कि उसमें कितने प्रतिशत गलत है . यदि सभी लोग इसे सत्य माने तो वे उतना ही दबाव बनाएं जितना सामने वाला सह सके तथा व्यावहारिक रूप से कोई क़ानून बन सके . गांधीजी ने भी आन्दोलन किये परन्तु कभी ऐसी जिद नहीं की . वे अंग्रेजों को थोड़ा - थोड़ा कर के मनाते गए .गाँधी जी क्रमिक परिवर्तन की दिशा में बढ़ते गए . सन १९४२ के 'भारत छोड़ो ' आन्दोलन में भी उन्होंने सहजता का परिचय दिया . उसके ५ वर्ष बाद देश आजाद हुआ . राष्ट्रीय आंदोलनों में उन्होंने कभी अहम् को नहीं आने दिया . असफलता के पश्चात वे पुनः चिंतन करते और नवीन पथ खोजकर आगे बढ़ते गए . क्या बाबा रामदेव और अन्ना हजारे ऐसा नहीं कर सकते ? यदि उनके ये आन्दोलन उनकी जिद्द के कारण बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गए तो इससे समाज की अपूरणीय क्षति होगी और आर्थिक अपराध सीना तान कर होने लगेंगे .
प्रो ए. डी. खत्री , चिन्तक, पत्रकार ,भोपाल
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