मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

लोहड़ी - गीत


प्रायः सभी लोग जानते हैं कि प्रत्येक वर्ष १३ जनवरी को पंजाबी लोग लोहड़ी मनाते हैं . रात्रि में आग जलाने के साथ मक्के- मूंगफली ,रेवड़ी बांटने कि परम्परा रही है . इस अवसर पर 'सुन्दर-मुंदरीए हो ....' गीत कभी- कभी गया जाता है जो अकबर द्वारा एक लड़की से विवाह कि जिद करने पर दुल्ला-भट्टीवाला ने उसका सजातीय विवाह करवा दिया था ,की याद का प्रतीक है . लोहड़ी का अवसर विशेष होता है यदि घर में लड़के कि शादी हुई हो या लड़का हुआ हो . सभी धर्म और जातियों में इन्हें सर्वाधिक खुशी का अवसर माना जाता है . अतः यह खुशियों और शुभकामनाओं तथा बधाइयों का त्यौहार है .जहां तक मुझे ज्ञात है कि लोहड़ी के लिए ऐसा कोई गीत नहीं है . अतः यह पहला लोहड़ी-गीत होगा जिसमें खुशिया और बधाइयां व्यक्त की गई हैं .
पहले घर में अनेक बच्चे होते थे , बेटा घर का चिराग माना जाता था .इसलिए उसके जन्म या शादी की ही खुशियाँ मनाई जाती थीं . वर्तमान में एक या दो बच्चे ही होते हैं.
आज तो बेटी को माता - पिता का अधिक शुभ चिन्तक माना जाता है . अतः इस गीत में बेटी के होने या उसकी शादी की खुशियाँ भी व्यक्त की गई हैं तथा सभी रिश्तों को बधाई दी गई है जो निकट और दूर के रिश्तों के रूप में विद्यमान होते हैं .
लोहड़ी गीत

आया लोहड़ी दा त्यौहार , हो आया ......

खुशियाँ खूब मनाओ यार ,

नच्चो -गावो वंडो प्यार ,

मुड़ -मुड़ आवे ऐसा वार ,

कि आया लोहड़ी दा त्यौहार . हो आया ....


मुंडा वोटी लैके आया ,

सोणी वोटी लैके आया ,

खुशियाँ खूब मनाओ यार ,

नच्चो - गावो वंडो प्यार ,

कि आया लोहड़ी दा त्यौहार , हो आया ......


कुड़ी नूँ मस्त दूल्हा मिलया ,

सोणा -सोणा दूल्हा मिलया ,

खुशियाँ खूब मनाओ यार ,

नच्चो गावो वंडो प्यार ,

कि आया लोहड़ी दा त्यौहार ,हो आया ...


मुंडा - कुड़ी सदा सुख पावन ,

तरक्की करन ते वधते जावन ,

जल्दी सोणा पुत्तर आवे ,

(जल्दी सोणी सी धी आवे ,

खुशियाँ घर विच होन अपार) ,

कि आया लोहड़ी दा त्यौहार , हो आया ....


घर विच प्यारा मुंडा आया ,

किलकारियां मारदा सोणा आया ,

(घर विच प्यारी बच्ची आई ,

किलारियां मारदी सोणी आई )

रौशन कीता अन्दर - बार ,

कि आया .......


माता - पिता नूँ ढेर वधाईयां ,

दादी - दादा नूँ अनत वधाईयां ,

नानी - नाना नूँ लख वधाईयां ,

खुशियाँ वद्धन लख -हजार

कि आया ........


भाई - भैंणा नूँ वधाईयां ,

भैया - भाभी नूँ वधाईयां ,

भुआ - फुफ्फड़ नूँ वधाईयां ,

चाची -चाचा नूँ वधाईयां ,

मामी -मामा नूँ वधाईयां ,

मासी - मासड़ नूँ वधाईयां ,

सारे रिश्तां नूँ वधाईयां ,

डाक्टर खत्री दी वधाईयां ,

बचिआं नूँ देवो आशीर्वाद ,

सारी जिन्दगी रहन आबाद ,

खुशियाँ होवन अपरम्पार ,

कि आया .....


सारे मिलके भंगड़ा पावो ,

हस्सो - गावो धूम मचाओ ,

मक्के - रेवड़ी खांदे जाओ ,

मूंगफली , गजक वी मुंह विच पाओ ,

मुड़ - मुड़ आवे ऐसा वार ,

खुशियाँ खूब मनाओ यार ,

कि आया लोहड़ी दा त्यौहार

हो आया ......

डा. . डी. खत्री , भोपाल , .प्र . इंडिया

(वंडो = बांटो , मुड़-मुड़ = बार-बार , वोटी = दुल्हन , सोणी = सुन्दर , वधते = बढ़ते , वद्धन = बढ़ें , धी = बेटी , विच = में , भैंणा = बहन , नूं = को , बार = बाहर , बचिआं = बच्चों , खांदे = खाते , मूँ = मुंह , वी = भी )

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें